ऑनलाइन सिस्टम बना कमाई का ज़रिया? धमधा तहसील में प्रमाण पत्र बनवाने के नाम पर अव्यवस्था और मनमानी चरम पर

Monday, Sep 08, 2025-02:03 PM (IST)

धमधा (हेमंत पाल) : सरकार भले ही डिजिटल इंडिया की दिशा में कदम बढ़ा रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कह रही है। धमधा तहसील कार्यालय में आय, जाति और निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया को जिस उद्देश्य से लागू किया गया था, वो अब आम जनता और सीएससी ऑपरेटरों के लिए मुसीबत बनती जा रही है।

ग्रामीण क्षेत्र में सीएससी सेंटर (जन सेवा केंद्र) के माध्यम से लोग दस्तावेजों के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन इन आवेदनों के निस्तारण में भारी अनियमितता, भेदभाव और अवैध वसूली की शिकायतें सामने आई हैं। तहसील कार्यालय में बैठा ऑपरेटर राज अधिकारियों की ID से हो रही मनमानी

सूत्रों के अनुसार, तहसील कार्यालय में तैनात ऑपरेटर भावेश ताम्रकार और उनके सहयोगियों को तहसीलदार व एसडीएम स्तर की प्रशासनिक आईडी सौंप दी गई है। यह आईडी मूलतः अधिकारियों के लिए होती है, लेकिन अधिकारी खुद इसमें समय न देते हुए सारा काम इन्हीं ऑपरेटरों पर छोड़ चुके हैं।

परिणामस्वरूप, भावेश ताम्रकार द्वारा डाले गए आवेदन तुरंत अनुमोदित हो जाते हैं, जबकि बाकी सीएससी ऑपरेटरों द्वारा भेजे गए आवेदन या तो रिजेक्ट कर दिए जाते हैं या लंबे समय तक पेंडिंग में रखे जाते हैं। यह स्पष्ट रूप से भेदभाव और पक्षपात का मामला बन रहा है।

नियत शुल्क से अधिक वसूली का आरोप – "ऑनलाइन के नाम पर हो रहा कैश कलेक्शन

सूत्रों की मानें तो भावेश ताम्रकार प्रमाण पत्र बनवाने के एवज में हितग्राहियों से तय शुल्क से अधिक पैसे वसूल रहे हैं। प्रमाण पत्र जैसे – आय, जाति, निवास, जो सामान्य प्रक्रिया में सीएससी के माध्यम से कम समय में बन सकते हैं, उन्हें तहसील कार्यालय जाकर बनाने पर बिना दस्तावेज़ के भी बनवाने का आश्वासन दिया जा रहा है, बशर्ते शुल्क 'अनुकूल' हो।

इससे परेशान होकर कई सीएससी ऑपरेटर अब आवेदन लेने से भी कतरा रहे हैं, क्योंकि उनके मेहनत से तैयार किए गए आवेदन भी सिरे से खारिज किए जा रहे हैं।

CSC ऑपरेटरों ने खोला मोर्चा, पहुंचे कलेक्टर जनदर्शन

तहसील कार्यालय की इस मनमानी और घोटाले की बू आती व्यवस्था से त्रस्त होकर सीएससी ऑपरेटरों ने एकजुट होकर कलेक्टर कार्यालय का रुख किया। जनदर्शन में आवेदन सौंपते हुए उन्होंने मांग की

सरकार जहां ई-गवर्नेंस को गांव-गांव तक पहुंचाने की बात कर रही है, वहीं धमधा तहसील में सिस्टम को कुछ चंद लोगों ने कमाई का अड्डा बना लिया है।

ऑनलाइन प्रक्रिया को सहज और पारदर्शी बनाने की बजाय उसे जटिल और पक्षपातपूर्ण बना दिया गया है। अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए आईडी थमा दे रहे हैं और ऑपरेटर अपने हित साधने में लगे हैं।


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meena

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