बस्तर में पुलिस कैंप का विरोध क्यों कर रहे हैं स्थानीय आदिवासी

5/18/2022 12:59:45 PM

बस्तर (सुमित सेंगर): छत्तीसगढ़ के बस्तर में पिछले कुछ सालों से स्थानीय आदिवासी पुलिस कैंप का विरोध कर रहे हैं। पिछले साल बीजापुर के एक छोटे से गांव में सिलगेर में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन बस्तर क्षेत्र के सात जिलों में फैल चुका है। 17 मई 2021 को बीजापुर के सिलगेर गांव में पुलिस की फायरिंग से 3 आदिवासी मारे गए थे। जिसके बाद से न्याय की मांग को लेकर आदिवासियों को धरना जारी है। 

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तीन आदिवासियों की हत्या का पुलिस पर है आरोप 

मूल निवास बचाओ मंच के अध्यक्ष रघु मिदियामी ने बताया कि एक आदिवासी अधिकार समूह, जो पिछले साल मई में पुलिस शिविरों और आदिवासी हत्याओं के विरोध के बीच उभरा था। 17 मई को सिलगर में कथित पुलिस गोलीबारी की एक वर्षगांठ के अवसर पर आदिवासियों ने अपनी मांगें पूरी होने तक विरोध जारी रखने का संकल्प लिया है। पिछले साल 17 मई को तीन आदिवासियों कवासी वागा, उइका पांडु, और कोर्सा-भीमा को सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 

वर्तमान सरकार पर लगाया धोखे का आरोप

गौरतलब है कि 12 मई को सुकमा जिले के सिलगर गांव में एक सुरक्षा बल शिविर के विरोध में प्रदर्शन किया गया था। चौथी शिकार पूनम सोमेली ने बाद में गोलीबारी में मची भगदड़ के दौरान दम तोड़ दिया। चार आदिवासियों की मौत के बाद से सिलगेर और आसपास के गांवों के निवासियों ने हत्या के स्थान पर एक विरोध प्रदर्शन किया है।सुकमा और बीजापुर जिलों की सीमाओं के साथ एक माओवादी गढ़ में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। सिलगर के प्रदर्शनकारियों, जिन्हें आदिवासी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों और उनके शिविरों के खिलाफ वर्तमान समय के सबसे लंबे और सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक के रूप में स्वीकार किया है। सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर आदिवासियों को धोखा देने का आरोप लगा है। 

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हत्या के बाद दर्ज नहीं हुई है प्राथमिकी: बेला भाटिया

बस्तर की वकील और आदिवासी कार्यकर्ता बेला भाटिया ने कहा कि सरकार में आदिवासी मुद्दों को हल करने के इरादे की कमी है। उन्होंने कहा, "आदिवासियों की मांगें बहुत सीधी हैं। वे ग्राम सभा की सहमति के बिना लगाए गए शिविरों को हटाने की मांग कर रहे हैं। एक और मांग पिछले साल चार आदिवासियों की हत्याओं की जांच कराने की है। हालांकि, प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गई है। "यह सरकार की इरादे की कमी को दर्शाता है।"  


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News Editor

Devendra Singh

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