क्या हम असल में रावण दहन के अधिकारी हैं ? बच्चियों पर बढ़ते अपराध को लेकर भाजपा विधायक का बड़ा सवाल

Monday, Oct 07, 2024-05:24 PM (IST)

भोपाल : देशभर में नवरात्रि की धूम है। कुछ दिन बाद दशहरा आने वाला है। इससे पहले भाजपा नेता की एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है। उन्होंने अपने फेसबुक पर लिखा कि नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। गांव से लेकर शहर तक जगह-जगह देवी जी सहित कन्याओं का पूजन हो रहा है।  5 दिन बाद दशहरे में लोग जगह-जगह रावण दहन करेंगे। लेकिन क्या सच में हम ऐसे रावण दहन के अधिकारी हैं? उन्होंने आगे लिखा- अखबारों में जहां दुर्गा पूजा और कन्या पूजन की खबरें छपती हैं। उसी पेज पर मासूम बच्चियों से दुष्कृर्म और हत्या की खबरें भी पढ़ने में आती हैं। दुनिया के किसी देश में ऐसे समाचार पढ़ने और देखने को नहीं मिलते।

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बता दें कि मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में भोपाल, सागर और कई अन्य जिलों में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं सामने आई थी। पूर्व मंत्री व सागर जिले के रहली से विधायक गोपाल भार्गव ने इन्हीं घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए लिखा, 'नवरात्रि के महापर्व में हमें अब यह विचार करना होगा कि क्या हम लंकाधिपति रावण का पुतला जलाने की पात्रता रखते हैं? और क्या हम इसके अधिकारी हैं? विजयादशमी को हम बुराई पर अच्छाई की विजय का त्यौहार मानते हैं। रावण ने सीता माता का हरण किया लेकिन सीता जी की असहाय स्थिति में भी उनका स्पर्श करने का प्रयास नहीं किया।

भार्गव ने आगे लिखा, 'अपने मन के अंदर और अपनी इंद्रियों में बैठे उस रावण को मारना होगा। सभी प्रकार की रामायणों में उल्लेख है कि रावण से बड़ा महाज्ञानी, महा तपस्वी, महान साधक और शिवभक्त भू लोक में नहीं हुआ। जिसने अपने शीश काट काटकर भगवान के श्री चरणों में अर्पित किए। उसके दहन करने का क्या औचित्य है ? गोपाल भार्गव ने पुतला दहन तो सिर्फ आतिशबाजी दिखाने का मनोरंजन बनकर रह गया है। हमें अपने मन और इंद्रियों में बैठे उस रावण को मारना होगा, जो अबोध बच्चियों के साथ दुष्कृत्य के लिए प्रेरित करता है। गोपाल भार्गव ने कहा, जबसे मृत्युदंड जैसे कड़ा कानून बना है। तब से ऐसी घटनाएं और बढ़ गई हैं। नवरात्रि में हम भारतीयों के लिए यह आत्ममंथन का विषय है।


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meena

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