प्लास्टिक को मात देती गोबर की चप्पलें, बारिश से भी नहीं होती खराब, शुगर बीपी भी रहता है कंट्रोल

12/21/2021 3:48:18 PM

रायपुर(शिवम दुबे): अब तक आपने प्लास्टिक, रबर, लेदर की चप्पलों के बारे में तो सुना होगा लेकिन आज हम आपको कुछ अलग बताने जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गोठान जहां गोबर से चप्पल बनाई जा रही है। रायपुर के गोकुल नगर में पशुपालक रितेश अग्रवाल ने कम लागत में प्लास्टिक के बजाय गोबर से चप्पल बना रहे है। देश में खासकर छत्तीसगढ़ में तो इनका बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है। ये चप्पलें खूबसूरत होने के साथ ट्रेंड कर रही हैं। इनकी खासियत यह भी है कि करीब आधे घंटे तक पानी में होने के बावजूद ये खराब नहीं होती हैं।

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घातक होती जा रही प्लास्टिक
गोठान संचालक रितेश अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार ने गौठना बनाकर सड़कों में लावारिश घूमने वाले गौवंश को संरक्षित किया है। 90 प्रतिशत गौ वंश प्लास्टिक के कारण बीमार होते हैं और 80 प्रतिशत गौवंश का प्लास्टिक खाने से मौत होती है। लेकिन हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि इस पहल को कैसे आय का स्त्रोत और रोजगार का साधन बनाया जाए। इसके लिए हमने गोबर से चप्पल, दीए, ईट और भगवान की प्रतिमा बनाने की शुरुआत की है। बीते दिवाली में 1 लाख 60 हजार दीए की बिक्री हुई है। अबतक 1000 गोबर से बने चप्पल के ऑर्डर मिल चुके है।

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प्लास्टिक को भी मात देती हैं ये चप्पलें
गोबर की चप्पल बनाने वाले कुछ निर्माता पशुपालक हैं। इस काम में उन लोगों की खास मदद ली जाती है जिनके घरों में गाय, भैंस बकरी आदि पशु पाले जाते हैं। पूरी दुनिया में प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ते ही जा रहा है। इससे पर्यावरण के साथ गौवंश को भारी नुकसान हो रहा है। इस लिए प्लास्टिक उपयोग का रितेश अग्रवाल विरोध कर रहे है।

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गोबर से चप्पल बनाने की आसान प्रक्रिया
गोबर से चप्पल बनाना सरल विधि इसमें कोई विज्ञानीक साइंस नहीं है. बल्कि बड़ी आसानी से पुरानी पद्धति से गोबर की चप्पल बना रही है। गोहार गम,आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां चूना और गोबर पाउडर को मिक्स कर चप्पल बनाया जाता है। चप्पल बनाने और गौशाला में गौवंश के देखरेख के लिए 15 लोगों को रोजगार मिल रहा है। यहां महिलाएं 1 किलो गोबर से 10 चप्पल बनती है।

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गोबर की चप्पल बरसात में भी पहनी जा सकती है
मूल रूप से ये चप्पल घर में ऑफिस कार्य में पहन सकते है। 3-4घंटे बारिश में भीग भी जाती है तो ये खराब भी नहीं होगी। एक दिन आप इस चप्पल को धूप में रख दीजिए ये वापस पहनने लायक हो जाएगा।

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शुगर-बीपी भी रहता है कंट्रोल

रितेश अग्रवाल ने बताया कि चप्पल अभी प्रैक्टिकली तौर पर उतरे है। दर्जन भर चप्पल बिक चुके है, जिनको बीपी शुगर की बीमारी है जो गौ भक्त है। उन लोगों के लिए सैंपल के तौर पे बनाया गया था। इस चप्पल से स्वास्थ्य को कितना लाभ होगा इसके लिए लोगों को हमने रोजाना चप्पल पहनने के टाइमिंग नोट करने के लिए बोला है। साथ ही इस चप्पल के बाद बीपी शुगर नोट करने के लिए बोला है। इसका असर भी दिखाई दे रहा है। हजारों चप्पलों का ऑर्डर मिल चुका है और एक चप्पल 400 रुपए में बिक रहे है।


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Content Writer

meena

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