कचरे में खाना ढूंढ रहा था शानदार शूटर, बैचमेट अफसरों ने पहचाना तो हो गए भावुक...

Friday, Nov 13, 2020-05:15 PM (IST)

ग्वालियर(अंकुर जैन): समय की जुंबिश राजा को कब रंक बना दे और भिखारी के कब दिन फिर जाएं, मनुष्य कभी समझ नहीं पाता है। एक ऐसी ही कहानी सामने आई है ग्वालियर से जो अपने आप में चौकान्ने वाली है। एक खाते-पीते खानदान का युवक, जिसके पिता, चाचा व भाई पुलिस अफसर, पत्नी न्यायिक सेवा में और बहन दूतावास में, साथ ही खुद भी 1999 बैच का पुलिस अफसर, मानसिक संतुलन खोकर ग्वालियर की सड़कों पर भिखारियों की तरह कचरे में खाना तलाशता मिला। रात के गश्त पर निकले उनके बैचमेट पुलिस अफसरों को जब उसने नाम लेकर बुलाया तो वह चौंके और शानदार निशानेबाज रहे अपने साथी को पहचाना। उसकी हालत देख उनका दिल रो पड़ा। दिन एक बार फिर भिखारी बने अफसर को साथियों ने एक आश्रम में भेज कर इलाज शुरू करा दिया।

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आपको बता दें कि पुलिस का बेस्ट शूटर रहे मनीष मिश्रा अचानक हो गए थे। रत्नेश तोमर, विजय भदौरिया के साथ ही मनीष मिश्रा भी 1999 में मध्यप्रदेश पुलिस में SI चुने गए थे। मनीष के पिता औऱ चाचा ASP से सेविनिवृत हुए हैं, एक भाई TI हैं, चचेरी बहन दूतावास में पदस्थ है, जबकि पत्नी न्यायिक सेवा में है। बैच के बेस्ट शूटर्स में से एक मनीष मिश्रा 2005 तक पुलिस की सेवा कर रहे थे। दतिया में तैनाती के दौरान मानसिक संतुलन खोकर मनीष मिश्रा अगले 5 साल तक घर रुके, उनके इलाज की कोशिश की गई, लेकिन एक दिन अचानक घर से भाग गए, लाख खोजबीन के बाद भी उनका कोई सुराग नहीं मिला। इस दौरान नाउम्मीद पत्नी ने भी तलाक दे दिया।

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ऐसे में ग्वालियर की क्राइम ब्रांच के DSP रत्नेश तोमर और उनके साथी DSP विजय भदौरिया ने 10 नवंबर की रात को ड्यूटी पर गुजरने के दौरान जीर्णशीर्ण हालत में भिखारियों से लगने वाले एक व्यक्ति को कचरे में से खाना तलाशने की नाकाम कोशिश करते देखा। उसकी हालत देख द्रवित हुए अफसरों ने वाहन रोक कर उसे सर्दी से बचाने जैकेट, जूते और खाना दिया। अचानक उसने अफसरों को नाम लेकर पुकारा, तो वह चौंक पड़े। नाम पूछा तब भेद खुला कि वह उनके बैचमेट मनीष मिश्रा हैं। रत्नेश तोमर ने गुरुवार को मनीष मिश्रा को आश्रम स्वर्ग सेवा सदन भेजा, जहां मनीष की देखरेख के साथ नए सिरे से उनके इलाज की शुरूआत की जाएगी। 


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meena

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