नेपाल राजघराने से था ग्वालियर राजवंश की राजमाता का संबंध, शादी के बाद "माधवी राजे सिंधिया" मिला था नाम

5/15/2024 7:19:50 PM

ग्वालियर (अंकुर जैन): केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां और दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की पत्नी माधवी राजे सिंधिया का निधन हो गया। वह पिछले तीन महीने से बीमार थीं। उनका दिल्ली के एम्स में इलाज चल रहा था। उन्होंने 70 साल की उम्र में बुधवार सुबह 9.28 पर अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर कल मध्य प्रदेश के ग्वालियर लाया जाएगा। जहां उनका राजघराने की परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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नेपाल राजघराने से थीं माधवी राजे सिंधिया

माधवी राजे सिंधिया का ताल्लुक नेपाल राजघराने से रहा है। शादी से पहले उनका नाम किरण राजलक्ष्मी देवी था। माधवराव से विवाह के बाद मराठी परंपरानुसार नाम बदलकर माधवी राजे सिंधिया हुआ। माधवी राजे सिंधिया के दादा शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। विवाह से पहले उनका नाम राजकुमारी किरण राज्यलक्ष्मी देवी था। 1966 में माधवराव सिंधिया से शादी के बाद उनका नाम बदल गया था। माधवी राजे सिंधिया मूलतः नेपाल की रहने वाली हैं। उनका परिवार वहां के राजघराने से जुड़ा रहा है। उनके दादा शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के पीएम भी रह चुके हैं। नेपाल की राजकुमारी को शादी के बाद महारानी कहा जाता था। माधवराव के निधन के बाद उन्हें राजमाता कहा जाने लगा। माधवी राजे के पति पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया का 30 सितम्बर 2001 को यूपी के मैनपुरी के पास विमान हादसे में निधन हुआ था। उस समय उनकी उम्र महज 56 साल थी।

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शाही शादी में पूरी ट्रेन की थी बुक

1966 में माधवी राजे की शादी माधवराव सिंधिया से हुई थी। उनका रिश्ता ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने तय किया था। यह उस दौर की एक शाही शादी थी, जिसकी खूब चर्चा हुई थी। जानकारी के अनुसार यह शादी दिल्ली में हुई थी। ग्वालियर के लोग बारात में शामिल हों, इसके लिए एक स्पेशल ट्रेन भी चलवाई गई थी। जिसमें देश-विदेश के मेहमान शामिल हुए थे। 

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बेटे सिंधिया को सौंपी राजनीतिक विरासमत

माधवराव सिंधिया के निधन के बाद माधवी राजे के राजनीति में आने की अटकलें लगाई गई। 2004 के लोकसभा चुनाव में उनके ग्वालियर से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जाने लगे, लेकिन माधवी राजे ने खुद को राजनीति से दूर ही रखा। अपने पति माधवराव सिंधिया की राजनीतिक विरासत बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए छोड़ दी। 

भाजपा में जाने को लेकर बेटे का दिया था साथ

मार्च 2020 में सिंधिया के भाजपा में जाने के फैसले में भी मां ने अहम भूमिका निभाई। जब सिंधिया पिता की विरासत छोड़कर भाजपा में जाने में संकोच कर रहे थे। इस दौरान माधवी राजे ने मार्गदर्शक बनकर सिंधिया को राह दिखाई थी। कहा जाता है कि उस समय सबसे ज्यादा सपोर्ट मां माधवी राजे ने सिंधिया को किया था। इसके बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने फैसला लेकर अपनी दादी विजयाराजे सिंधिया की तरह बड़ा कदम उठाया था।

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चुनाव प्रचार के दौरान भी मां के लिए दिल्ली जाते रहे सिंधिया

गुना शिवपुरी के लोकसभा प्रत्याशी के रुप में सिंधिया प्रचार में जुटे थे। इधर मां की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्होंने चुनाव प्रचार के बीच भी मां का पूरा ख्याल रखा। वे बीच-बीच में दिल्ली जाते रहे। चुनाव प्रचार जब शबाब पर था तब ज्योतिरादित्य और उनके बेटे महाआर्यमान जहां गुना-शिवपुरी में प्रचार कर रहे थे, तब सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे दिल्ली लौट आईं थीं। उन्होंने अधिकांश समय राजमाता के साथ बिताया। प्रियदर्शनी की मां भी नेपाल से ताल्लुक रखती थीं। माधवराव सिंधिया की मौत के बाद ज्योतिरादित्य महल के साथ-साथ अपने पिता की राजनैतिक विरासत भी संभाल रहे हैं।


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Content Writer

meena

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