‘अनुकंपा नियुक्ति’ पर High Court ने सुना दिया बहुत बड़ा फैसला, अब नहीं मिलेगी नौकरी !
Sunday, Oct 12, 2025-12:56 PM (IST)
ग्वालियर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की युगल पीठ ने एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि यदि मृत सरकारी कर्मचारी के परिवार का कोई सदस्य पहले से सरकारी सेवा में कार्यरत है, तो परिवार के अन्य सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Appointment) का अधिकार नहीं बनता। अदालत ने इस तरह की एक अपील को खारिज कर दिया है।
युगल पीठ का निर्णय
न्यायमूर्ति आनंद पाठक और न्यायमूर्ति पुष्पेन्द्र यादव की पीठ ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति कोई अधिकार नहीं, बल्कि केवल तत्काल आर्थिक संकट से राहत देने का एक उपाय है। यह नियुक्ति तभी दी जा सकती है जब परिवार पूरी तरह आर्थिक रूप से असहाय हो।
मामला क्या है
बहोड़ापुर निवासी रंजीत सिंह के पिता जेल प्रहरी के पद पर कार्यरत थे, जिनका निधन 14 मई 2022 को हुआ था। पिता की मृत्यु के बाद रंजीत सिंह ने 26 मई 2022 को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। हालांकि विभाग ने 21 जुलाई 2022 को आवेदन यह कहते हुए अस्वीकृत कर दिया, कि रंजीत सिंह के दोनों भाई नौकरी में हैं। एक सरकारी सेवा में और दूसरा आउटसोर्स कर्मचारी के रूप में कार्यरत है।
भाई ने दिया त्यागपत्र, फिर भी नहीं मिली राहत
रंजीत सिंह के भाई ने बाद में अपनी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया, जिसके आधार पर रंजीत सिंह ने फिर से आवेदन किया, लेकिन विभाग ने पुनः इसे अस्वीकार कर दिया।
अदालत ने कहा- त्यागपत्र से अधिकार पुनर्जीवित नहीं होता
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब मृतक कर्मचारी का निधन हुआ, उस समय परिवार में सदस्य सेवारत थे, इसलिए नियुक्ति से इनकार करना नीति के अनुरूप था। बाद में त्यागपत्र देने से अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार पुनर्जीवित नहीं होता।

