MP: ‘‘संथारा'' के बाद तीन वर्षीय लड़की की मौत, बाल आयोग ने जांच का आदेश दिया

Tuesday, May 06, 2025-06:56 PM (IST)

इंदौर : मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इंदौर में ‘ब्रेन ट्यूमर' से जूझ रही तीन वर्षीय लड़की को ‘‘संथारा'' व्रत ग्रहण कराए जाने के बाद उसकी मौत के मामले का संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन को निष्पक्ष जांच का आदेश दिया है। आयोग के एक सदस्य ने मंगलवार को यह जानकारी दी। संथारा, जैन धर्म की प्राचीन प्रथा है जिसका पालन करने वाला व्यक्ति स्वेच्छा से अन्न-जल, दवाएं और अन्य सांसारिक वस्तुएं छोड़कर प्राण त्यागने का फैसला करता है।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह के अनुसार, इस निकाय ने इंदौर में तीन साल की बच्ची को "संथारा" व्रत ग्रहण कराए जाने के बाद उसकी मौत की घटना का बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 के संबद्ध प्रावधानों के तहत संज्ञान लिया है। सिंह ने बताया कि यह संज्ञान मीडिया की खबरों के आधार पर लिया गया है। उन्होंने बताया, "आयोग ने इंदौर के जिलाधिकारी को नोटिस जारी करके कहा है कि मामले से जुड़े सभी पक्षों की निष्पक्ष जांच जल्द करायी जाए और नियमानुसार आवश्यक कदम उठाकर आयोग को इसकी रिपोर्ट भेजी जाए।"

सिंह ने कहा कि आयोग खासतौर पर यह जानना चाहता है कि तीन साल की अबोध बच्ची ‘‘संथारा'' के लिए कैसे अपनी सहमति दे सकती है? इस बच्ची की मौत के बाद कानूनी और सामाजिक हलकों में "संथारा" को लेकर फिर बहस शुरू हो गई है। इस बीच, इंदौर के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने बताया कि शहर में तीन वर्षीय बच्ची को "संथारा" व्रत ग्रहण कराए जाने के बाद उसकी मौत के मामले में पुलिस को फिलहाल कोई भी शिकायत नहीं मिली है।

‘‘संथारा'' व्रत से प्राण त्यागने वाली लड़की के माता-पिता सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र के पेशेवर हैं। उनका कहना है कि उन्होंने 21 मार्च की रात एक जैन मुनि की प्रेरणा से अपनी इकलौती संतान को यह व्रत दिलाने का फैसला ऐसे वक्त लिया, जब वह ब्रेन ट्यूमर के कारण बेहद बीमार थी और उसे खाने-पीने में भी दिक्कत हो रही थी। लड़की के माता-पिता के मुताबिक जैन मुनि द्वारा "संथारा" के धार्मिक विधि-विधान पूरे कराए जाने के चंद मिनटों के भीतर उनकी बेटी ने प्राण त्याग दिए थे। उन्होंने यह भी बताया कि गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने उनकी बेटी के नाम विश्व कीर्तिमान का प्रमाण पत्र जारी किया है जिसमें उसे "जैन विधि-विधान के मुताबिक संथारा व्रत ग्रहण करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की शख्स" बताया गया है।

जैन समुदाय की धार्मिक शब्दावली में संथारा को "सल्लेखना" और "समाधि मरण" भी कहा जाता है। इस प्राचीन प्रथा के तहत कोई व्यक्ति अपने अंतिम समय का आभास होने पर मृत्यु का वरण करने के लिए अन्न-जल और सांसारिक वस्तुएं त्याग देता है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने वर्ष 2015 में "संथारा" प्रथा को भारतीय दंड विधान की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत दंडनीय अपराध करार दिया था। हालांकि, जैन समुदाय के अलग-अलग धार्मिक निकायों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने राजस्थान उच्च न्यायालय के इस आदेश के अमल पर रोक लगा दी थी।


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meena

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