Rewa: जिला पंचायत सीईओ पर सरपंच सचिव और इंजीनियरों को बचाने का आरोप, जाने पूरा मामला
Sunday, Apr 30, 2023-04:06 PM (IST)

रीवा (सुभाष मिश्रा): सर से पांव तक 'भ्रष्टाचार' में डूबे सरपंच सचिव और इंजीनियरों को सीईओ जिला पंचायत पर बचाने का आरोप है। एक साल बीत जाने के बाद भी 68 लाख की रिकवरी नहीं हो पाई है। जिला सीईओ पर बिना काम के फर्जी तरीके से पैसे निकालने का आरोप है। वहीं शिकायतकर्ता सुधाकर सिंह ने कहा यदि सीईओ जिला पंचायत कार्रवाई नहीं करते तो वे धरने पर बैठेंगे।
सरपंच सचिव और इंजीनियरों को बचाने का आरोप
रीवा जिला पंचायत में वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था को देखते हुए बस यही किया कहा जा सकता है कि नाम बड़े और दर्शन छोटे। प्रदेश की ग्राम पंचायतों में किस कदर 'भ्रष्टाचार' व्याप्त है, उसका जीता जागता उदाहरण रीवा जिले की नईगढ़ी जनपद की जिलहंडी ग्राम पंचायत है। जहां पिछले मार्च- अप्रैल 2022 में एसडीओ एसआर प्रजापति से कराई गई जांच में लगभग 68 लाख रुपए की रिकवरी आने के बाद सरपंच सचिव और इंजीनियरों को जिला पंचायत में बचाने का आरोप है।
दूर की बात हुई कार्रवाई
सत्यापन के नाम पर बार-बार जनपद स्तर से जांच कराई जा रही है और जांच कराए जाने के बाद दोबारा उतनी ही रिकवरी बनने के बाद भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा सीधे एफआईआर दर्ज करवाए जाने के बजाए पूर्व सरपंच सचिव और इंजीनियर को बचाने का काम कर रहे हैं। जबकि धारा 40 और 92 के मामलों में 120 दिन अर्थात 4 महीने के भीतर अंतिम कार्रवाई किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मामला घुमाने का आरोप
शिकायतकर्ता सुधाकर सिंह ने बताया कि यह लक्ष्य तत्कालीन एडिशनल चीफ सेक्रेटरी राधेश्याम जुलानिया के द्वारा निर्धारित किया गया था। अब देखा जाय तो यह हाल मात्र नईगढ़ी की जिलहड़ी ग्राम पंचायत का नहीं है। बल्कि पूरे रीवा जिले की अधिकतर ग्राम पंचायतों में यही खेल खेला जा रहा है। काफी जद्दोजहद के बाद शिकायत की जांच होने के बाद भी जिला पंचायत के सीईओ और धारा 40/92 देखने वाले परियोजना अधिकारी राजेश शुक्ला द्वारा खेल प्रारंभ कर दिया जाता है। पहले सरपंच सचिव रोजगार सहायक और इंजीनियर को बुलाया जाता है। फिर सांठगांठ करके निचले स्तर के अधिकारियों के द्वारा जांचें करवाई जाती हैं। कई जांचों को बार-बार करवाने से उनकी रिकवरी और वसूली की राशि भी कम कर दी जाती है। जबकि मौके पर कोई काम हुए नहीं होते।
बिना काम करवाए राशि का बंदरबांट!
शिकायतकर्ता सुधाकर सिंह का आरोप है कि जब पिछले 7 साल के पंचायती कार्यकाल में तत्कालीन सरपंच सचिव और इंजीनियर ने कार्य नहीं करवाए और राशि का बंदरबांट कर लिया जो कि एसडीओ की जांच में कई बार साबित हो चुका है तो ऐसे में नए सरपंचों के कार्यकाल में वह पुराने काम कैसे पूरा किया जाएगा? दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात कि बिना कार्य करवाए ही राशि का बंदरबांट कर लिया गया ऐसे में सीधे गबन के लिए एफआईआर क्यों दर्ज नहीं करवाई जाती? तत्कालीन अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव ने गबन और दुर्वियोजन के मामले में सीधे एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए थे लेकिन इसके बाद भी न तो पूर्व जिला पंचायत सीईओ और न ही वर्तमान जिला पंचायत सीईओ द्वारा गबन के मामलों में एफआईआर दर्ज करवाई जा रही। अब इसको लेकर पंचायतों में भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाने वाले लोग और सामाजिक कार्यकर्ताओं में काफी आक्रोश है। जिलहडी पंचायत के सुधाकर सिंह ने बताया कि यदि जल्द वसूली मनाया जाकर एफ आई आर दर्ज नहीं की जाती तो वह जिला पंचायत रीवा में धरने पर बैठ जाएंगे।