पेशाब कांड मामले पर दो समाज के बीच जोरदार टकराव, भीम आर्मी नेताओं ने सवर्णों को कहा जातंकवादी
Tuesday, Oct 28, 2025-04:54 PM (IST)
भिंड: भिंड जिले के सुरपुरा के सामने आए एक चिंताजनक घटनाक्रम ने सामाजिक और राजनीतिक तनाव को जन्म दे दिया है। रिपोर्टों के मुताबिक 20 अक्टूबर को एक दलित युवक का अपहरण कर सुरपुरा ले जाकर उस पर कथित रूप से अपमानजनक अत्याचार, पेशाब पिलाने का आरोप लगाया गया। पुलिस ने प्रारम्भिक शिकायत के आधार पर तीन व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। लेकिन मामला यहीं थमा नहीं। घटना के बाद यह विवाद सार्वजनिक और राजनीतिक रूप लेता गया है। दोनों पक्षों के समर्थक सड़कों पर उतर आए और नेताओं ने एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगाए। वहीं भीम आर्मी नेताओं ने अब सवर्णों को जातंकवादी कहा है।
पुलिस ने दर्ज की थी प्राथमिकी, जांच जारी
स्थानीय पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस फिलहाल साक्ष्यों और गवाहों से तफ्तीश कर रही है तथा आगे की विधिक कार्रवाई की बात कर रही है।
ब्राह्मण नेता ने एसपी ऑफिस घेरा
ब्राह्मण समाज के एक प्रभावशाली नेता और उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल मिश्रा ने सवर्ण समाज के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव किया। उनका दावा था कि बिना ठोस जाँच के तीन लोगों पर FIR गलत तरीके से दर्ज की गई है। उन्होंने साथ ही भीम आर्मी और जिन लोगों पर आरोप लगे हैं जो ब्राह्मणों व भगवान को गाली देने के आरोपियों पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की।
भीम आर्मी व आज़ाद समाज पार्टी का जवाब- न्याय व सज़ा की मांग
वहीं दूसरी ओर भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने डायमंड होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था कि यह घटना उन मनुवादी प्रवृत्तियों का परिणाम है जो निचली जातियों को दबाने का प्रयास कर रही हैं। भीम आर्मी के प्रदेश प्रमुखों ने आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई और दीर्घकालीन जेल सज़ा की माँग रखी। भीम आर्मी के नेता दामोदर यादव ने अधिवक्ता अनिल मिश्रा पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी और उन्हें “दो जातियों के बीच जहर फैलाने वाला व्यक्ति” करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि जब कोई व्यक्ति समाज में आगे बढ़ता है तो उसे झूठे षड्यंत्रों के माध्यम से फंसाया जाता है।
विवादित बयान और संवेदनशीलता पर नई बहस
प्रत्येक पक्ष ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाते हुए मामले को सांप्रदायिक-सामाजिक रंग दे दिया है। विशेषकर उस वक्त विवाद बढ़ा जब कुछ बयानों में बाबा भीमराव अम्बेडकर और संवैधानिक इतिहास के संदर्भ में टिप्पणियाँ भी सामने आईं, जिससे और अधिक घुसपैठ-भावनात्मक प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न हुईं।
शासन-प्रशासन की अपील- शांति बनाए रखें, जांच होने दें
मौके पर प्रशासन ने शांति एवं कानून-व्यवस्था कायम रखने की अपील की है और कहा गया है कि आरोपों की जांच तफ़्तेश के बाद ही की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी तरह की अराजकता समाज को विभाजित कर सकती है, इसलिए सभी पक्ष संयम व धैर्य बनाए रखें।

