भाई-बहन की निर्मम हत्या का खुलासा, रिश्ते की बहन निकली कातिल, सामने आई हैरान करने वाली कहानी!
Monday, Nov 10, 2025-05:41 PM (IST)
खैरागढ़। (हेमंत पाल): छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ - जिले के ग्राम झूरानदी में रविवार को सामने आई दो मासूम भाई-बहन की निर्मम हत्या ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। गांव के एक कुएं में करण वर्मा (4 वर्ष) और राधिका उर्फ वैषाली वर्मा (2 वर्ष) के शव मिलने से मातम छा गया। गांव की गलियां चीखों और सन्नाटे में डूब गईं — हर किसी की जुबां पर एक ही सवाल था, “ऐसा कौन कर सकता है?”
गांव में हड़कंप, कुएं से निकले दोनों मासूमों के शव
घटना रविवार दोपहर की है। बच्चों के पिता गजानंद वर्मा ने बताया कि जब गांव की चंचल वर्मा ने खेत में आकर बताया कि बच्चे नजर नहीं आ रहे, तो पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीण इधर-उधर भागकर बच्चों की तलाश में जुट गए।
खोजबीन के दौरान ग्रामीण कमलेश्वर वर्मा और समलिया वर्मा ने ओमकार वर्मा की बाड़ी के कुएं में एक बच्चे का शव देखा। आनन-फानन में लोगों ने कुएं से पानी निकालना शुरू किया। पहले राधिका का शव बाहर निकाला गया और थोड़ी देर बाद करण का शव भी बरामद हुआ। दोनों के शवों को देखकर पूरे गांव में कोहराम मच गया।
हत्या का शक, पुलिस ने तुरंत दर्ज किया मामला
मासूम बच्चों की मौत को संदिग्ध मानते हुए छुईखदान थाना पुलिस ने अपराध क्रमांक 422/2025, धारा 103(1) बीएनएस के तहत हत्या का मामला दर्ज किया। केसीजी पुलिस टीम ने महज कुछ घंटों में गांव में पूछताछ शुरू की। संदेह के घेरे में आई एक नाबालिग बालिका को अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की गई।

“चोर-चोर कहने से लगी ठेस” नाबालिग ने किया कबूलनामा
पूछताछ के दौरान नाबालिग ने पुलिस को जो बताया, उसने सबको सन्न कर दिया। उसने स्वीकार किया कि मृतक करण, जो उसका रिश्ते में भाई था, अक्सर उसे “चोर-चोर” कहकर चिढ़ाता था। इस बात से वह बेहद अपमानित और आहत महसूस करती थी। गुस्से और बदले की भावना में उसने करण और उसकी छोटी बहन राधिका दोनों को बाड़ी के कुएं में धक्का दे दिया।
पुलिस ने नाबालिग को विधि अनुसार गिरफ्तार कर किशोर न्यायालय में पेश करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सिर्फ 12 घंटे में खुल गया दोहरे हत्याकांड का राज
खैरागढ़-छुईखदान पुलिस ने इस दिल दहला देने वाले दोहरे हत्याकांड का सिर्फ 12 घंटे के भीतर खुलासा कर एक मिसाल पेश की है। थाना प्रभारी सहित पूरी टीम को उनकी संवेदनशीलता, तत्परता और जांच कौशल के लिए सराहा जा रहा है।
अब सवाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर शवों को ले जाने में घंटों की देरी
जहां पुलिस ने फुर्ती दिखाई, वहीं जिला स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने सबको निराश किया। जानकारी के मुताबिक, पूरे जिले में केवल एक ही मुक्तांजलि वाहन (शव वाहन) उपलब्ध है। इस कारण मृत मासूमों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने में घंटों की देरी हुई।
ग्रामीणों और परिजनों को वाहन के इंतजार में लंबा समय गुजारना पड़ा।
अंततः जब मुक्तांजलि वाहन समय पर नहीं पहुंचा, तो परिजनों ने मजबूरी में अपने निजी वाहन से शवों को अस्पताल पहुंचाया।
स्वास्थ्य विभाग ने झाड़ा पल्ला
इस लापरवाही पर सवाल उठाए जाने पर जिला चिकित्सा अधिकारी (CMHO) डॉ. आशीष शर्मा ने सफाई देते हुए कहा .....
मुक्तांजलि वाहन छुईखादन तक पहुंचने ही वाला था, लेकिन परिजन पहले ही शवों को अपने वाहन से ले गए।”
हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि यदि वाहन समय पर भेजा जाता तो यह स्थिति नहीं बनती। इस बयान के बाद स्वास्थ्य विभाग पर “पल्ला झाड़ने” का आरोप लग रहा है।
गांव में अब भी सन्नाटा, हर कोई गमगीन
घटना के बाद से गांव झूरानदी में गहरा सन्नाटा है। बच्चे खेल के मैदान से गायब हैं, और हर घर में मातम पसरा है। लोग अब भी यह विश्वास नहीं कर पा रहे कि सिर्फ “चोर-चोर” कहने की बात पर दो नन्ही जानें चली गईं।
यह घटना न सिर्फ इंसानियत को झकझोरती है, बल्कि समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि बचपन में भी मनोवैज्ञानिक संवेदनशीलता कितनी जरूरी है।
एक पल के गुस्से ने दो जिंदगियों को खत्म कर दिया और तीन परिवारों को उम्रभर का दर्द दे गया।

