गोवर्धन पर्व पर CM ने दी शुभकामनाएं, बोले- गौ संवर्धन और पर्यावरण संरक्षण से ही आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण संभव
Monday, Oct 20, 2025-12:07 PM (IST)
भोपाल: दीपोत्सव के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को दीपावली, गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इन पर्वों की श्रृंखला आरोग्य, आर्थिक समृद्धि, परिवार और समाज के समन्वय के साथ प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोवर्धन पर्व भारतीय परंपरा में प्रकृति, पर्वत और गौ-वंश संरक्षण का प्रतीक है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को धारण करने की स्मृति में इस पर्व का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा “गोवर्धन पूजन में गौ-धन के संवर्धन की प्रेरणा निहित है, जो भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
प्रदेशभर में गोवर्धन पर्व के आयोजन
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेशभर में इस वर्ष गोवर्धन पर्व लोक अनुष्ठान और सांस्कृतिक परंपराओं के साथ मनाया जा रहा है। आयोजन में पशुपालन और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में नवाचार करने वाले उद्यमियों को सम्मानित किया जाएगा। इस अवसर पर पशुपालन, कृषि और सहकारिता विभाग की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी लोगों तक पहुंचाई जा रही है। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन और वृंदावन ग्राम योजना के विस्तार के लिए नई गतिविधियों की शुरुआत की गई है।
गौ-संवर्धन के लिए 600 करोड़ का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार गौ-संवर्धन के लिए पूरी तरह संकल्पित है। गौ-शालाओं के लिए अनुदान राशि 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति गौ-वंश प्रतिदिन कर दी गई है। दो वर्ष पहले गौ-वंश भरण-पोषण का बजट 90 करोड़ रुपये था, जिसे बढ़ाकर अब 600 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा गया है।
देश की पहली आत्मनिर्भर गौ-शाला ग्वालियर में
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में ग्वालियर में देश की पहली आधुनिक आत्मनिर्भर गौ-शाला परिसर में कम्प्रेस्ड बायो गैस संयंत्र की स्थापना की गई है। इसके साथ ही गोबर से सीएनजी उत्पादन, नई गौ-शालाओं का निर्माण, और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के साथ करार जैसे नवाचार किए गए हैं।
मध्यप्रदेश बनेगा ‘दूध का केपिटल’
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के गांव-गांव में दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत पशुपालकों को नस्ल सुधार, टीकाकरण, संतुलित आहार और स्वास्थ्य सुरक्षा की जानकारी दी जा रही है। प्रदेश का लक्ष्य है कि देश के कुल दुग्ध उत्पादन में 20 प्रतिशत योगदान देकर मध्यप्रदेश को “दूध का केपिटल” बनाया जाए।
प्रकृति और समाज का संतुलन ही विकास का आधार
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोवर्धन पर्व का सार प्रकृति और प्राणियों के बीच समन्वय और संरक्षण में निहित है। इस दिन गोबर से पर्वत का प्रतीक बनाकर पूजा की जाती है, जो जल संरक्षण और पर्यावरण संतुलन का प्रतीक है। उन्होंने कहा हमारे पर्वों में प्रकृति से सह-अस्तित्व और समग्र विकास का भाव है। यही भाव आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की दिशा तय करेगा।

