मां के सपने को बेटी ने किया साकार,संकल्प लिया पुलिस वर्दी का, अब कर रही है देश भक्ति जनसेवा

3/8/2023 5:50:50 PM

जबलपुर(विवेक तिवारी): मां जिले के मुखिया कलेक्टर साहब के कार्यालय में वरिष्ठ लिपिक के रूप में पदस्थ थी। जब भी उनके कार्यालय में कोई प्रशिक्षु आईएएस आते तो उनके मन में यह ख्याल आता कि क्या मेरे बच्चे भी अफसर बन पाएंगे कभी। कुछ इसी पृष्ठभूमि को मन में लेकर वे अपने बच्चों में भी संस्कार डालने लगी थी और मां की अभिलाषा को बच्चों ने साकार भी किया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐसी ही मां और बेटी की जुगलबंदी की कहानी यहां बता रहे हैं। समाज के लिए कुछ करने का जज्बा मन में पाले मां मालती ठाकुर ने अपनी बेटी संदीपिका ठाकुर के लिए सपने देखे और उन सपनों को साकार करने के लिए संदीपिका ठाकुर ने भी जी तोड़ मेहनत की और अपनी मां के सामने खाकी वर्दी पहनकर साल 2012 में खड़ी हो गई। हम बात कर रहे हैं विजय नगर थाने की थाना प्रभारी संदीपिका ठाकुर की। जिनके नाम जबलपुर में पदस्थ रहते हुए कई केस में वरिष्ठ अफसरों के मार्गदर्शन में सफलता दिलवाने का रिकॉर्ड दर्ज है। विजय नगर थाना प्रभारी संदीपिका ठाकुर जबलपुर के कई थाना क्षेत्रों में सब इंस्पेक्टर के रूप में और अब विजय नगर थाना प्रभारी के रूप में अपनी ड्यूटी को निभा रही है। पुलिस विभाग में आने के लक्ष्य के बारे में जब हम उनसे चर्चा करते हैं तो उनकी कहानी भी दिलचस्प है। वे बताती है कि मां का सपना तो था ही कि मैं अफसर बनूं लेकिन मेरे मन में भी आता था कि समाज के लिए कुछ ना कुछ करना है। वे बताती है जब हम कही भी लड़ाई झगड़ा देखते थे तो मन में आता था क्या मैं इनकी लड़ाई का अंत कर सकती हूं ? क्या मैं इनकी समस्या का समाधान कर सकती हूं? ऐसी कौन सी सर्विस है जिसमें आकर मैं यह सब कुछ करने में सक्षम हो सकती हूं। इन्हीं सवालों के जवाब मैंने तलाशे तो मैंने पुलिस विभाग में आने का प्रयास करना शुरू कर दिया। मेहनत का फल मिला और 2012 में मेरा चयन सब इंस्पेक्टर के रूप में हुआ और जबलपुर में मेरी पहली पोस्टिंग हुई जबलपुर एक बेहद बड़ा जिला था और यहां पर पुलसिंग के लिए सबसे बेहतर माना भी जाता है लिहाजा अपने सीनियर अधिकारियों के साथ मैंने यहां मेहनत करनी शुरु कर दी।

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बेलबाग थाने में रहते हुए नशे के खिलाफ लड़ी जंग

जबलपुर के बेलबाग थाने में सब इंस्पेक्टर के रूप में पदस्थापना के दौरान काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बेलबाग में नशे के कारोबार के खिलाफ जंग लड़ना सबसे बड़ी चुनौती भी माना जाता है। यहां पर गांजा और स्मैक  का बिकना सबसे बड़ी समस्या थी ऐसे में सीनियर अफसरों के मार्गदर्शन में मुखबिर तंत्र को एक्टिव करते हुए हमने यहां पर नशे के खिलाफ जंग लड़ी। मैंने अपने कार्यकाल के दौरान 4 से ज्यादा केस हैंडल किए और इसमें गांजा की तस्करी करने वाले आरोपियों को न केवल जेल पहुंचाया बल्कि उनको सजा भी मिली। समाज में नशा बहुत बड़ी समस्या के रूप में खड़ा हुआ है इसके खिलाफ हम लगातार लड़ रहे हैं।

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मासूम बच्ची का अपहरण और उसकी हत्या सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण केस

संदीपिका ठाकुर बताती है कि साल 2014 में सिविल लाइन थाने में मासूम बच्ची आरोही हत्याकांड को सुलझाना चुनौतीपूर्ण केस था। जिले की एक बहुत बड़ी टीम इस हत्याकांड को सुलझाने में लगी हुई थी। एक मां ने अपनी बच्ची के अपहरण की साजिश रची बल्कि उसकी हत्या भी करके नाले में उसकी लाश फेंक दी ऐसे में किसी भी अधिकारी के लिए मां पर शक करने का एंगल भी काफी मुश्किल भरा हो जाता है लेकिन इस केस में हम लोगों ने काफी मेहनत की और अंततः मां कातिल निकली और केस सॉल्व कर लिया गया अभी तक के कैरियर में मुझे यह केस काफी चुनौतीपूर्ण और मार्मिक भी लगा।

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विजयनगर में चोरी के मामले पर लगाया अंकुश

जबलपुर का विजय नगर थाना संपत्ति संबंधी अपराधों में सबसे ज्यादा चर्चित रहता है। यहां पर चोरी के मामले काफी आते हैं उनको सुलझाना काफी चुनौतीपूर्ण माना जाता है। विजय नगर थाने में संदीपिका ठाकुर ने वर्तमान समय में काफी हद तक चोरी के मामलों पर अंकुश लगाया है और कई बड़ी चोरियों का खुलासा भी यहां पर किया गया है। अब यहां पर चोरी के मामले पहले की तरह नहीं आ रहे हैं और काफी हद तक मामलों का निराकरण सुनिश्चित हो पाया है।


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Content Writer

meena

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