दमोह के स्वदेशी मेले में मुस्लिम व्यापारियों के साथ भेदभाव ! दुकानें हटाकर बाहर की, नहीं लगाने दिए स्टॉल

Monday, Nov 18, 2024-05:32 PM (IST)

दमोह (इम्तियाज़ चिश्ती) : बड़े वे आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले, ये तो बता आखिर मेरी खाता क्या है... ये सवाल है मुस्लिम व्यपारियों के...दरअसल दमोह में स्वदेशी जागरण मंच द्वारा लगाए गए लगाए गए स्वदेशी मेले में स्वदेशी समान ख़रीदी का संदेश तो दिया गया लेकिन अपने ही देश के मुस्लिम व्यापारियों का बहिष्कार कर दुकानें मेले से हटा दी गई। मामला जिले  के तहसील ग्राउंड में आयोजित हो रहे स्वदेशी मेले का है। जहां सभी मुस्लिम व्यवसायियों की दुकानों को खाली कराकर उन्हें बाहर का रस्ता दिखा दिया गया।

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दमोह कलेक्टर ने शिकायत मिलने पर जांच का आश्वासन दिया है, खास बात ये है कि स्वदेशी जागरण मंच द्वारा सरकारी मैदान पर आयोजित होने वाले इस मेले में स्थानीय निजी दुकानदारों के अलावा सभी सरकारी विभाग के स्टॉल भी लगे हैं और उनमें समरसता का ज्ञान बांटा जा रहा है। समाज विशेष के सभी एक दर्जन से अधिक दुकानदारों का कहना है पहले ने दुकान अलॉट कराई थी और दूर प्रदेशों से व्यापार करने दमोह आए थे। अचानक दुकान बंद होने से उन्हें से दुकानदारों को नुकसान हुआ है। वहीं मेला आयोजन समिति का कहना है कि यह मेले दुकानदारों के वेंडर का मामला है समिति ने ऐसा कुछ नहीं किया।

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दमोह के स्वदेशी जागरण मंच के मेले में हुए इस घटनाक्रम से जहां दो समुदायों के बीच एक लकीर खींच दी गई वहीं जिले के कलेक्टर ने मामले में जांच करने का आश्वासन दिया है। कलेक्टर सरकारी सुविधाओं से भरपूर इस मेले को संस्था का व्यक्तिगत मामला बता रहे है। पहले व्यवसायियों को आमंत्रित करना दो तीन दिन तक पैसा लेकर दुकानें चलने देना और बीच मेले से उन्हें निकाल बाहर करने से कहा एक समाज विशेष में आक्रोश है। वहीं व्यापारी कहते हैं कि बड़े वे आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले, ये तो बता आखिर मेरी खाता क्या है?


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meena

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