छत्तीसगढ़ के इस गांव में पादरी की एंट्री और ईसाई धर्म के कार्यक्रमों के आयोजनों पर लगा प्रतिबंध, ग्रामीणों ने लगाया बोर्ड
Wednesday, Jul 30, 2025-06:37 PM (IST)

कांकेर (लीलाधर): छत्तीसगढ़ के बस्तर में लगातार धर्मांतरण और मंतातरण को लेकर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में वादविवाद होता रहता है यह कोई नई बात नहीं है। खास कर यह विवाद की स्थिति डेड बॉडी को कफन दफन को लेकर होता है। क्योंकि बस्तर में आदिवासी रूढ़िवादी परंपरा को मानते है जिसमें कोई भी व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद ग्रामीण या आदिवासी परंपरा के अनुसार शव को दफन किया जाता है जबकि ईसाई समाज में मूल धर्म की परम्परा से इतर होता है।
भानुप्रतापपुर ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम कुडाल में ग्रामीणों ने एक अनोखी पहल की है जिसमें गांव के चारों ओर एक एक बोर्ड लगाया गया है जिसमें पास्टर और पादरी को गांव में घुसने पर पूर्ण प्रतिबंध है। साथ ही बोर्ड बकायदा संविधान की अनुरूप नियम कायदा भी लिखा गया है।
इस तरह की पहल करने वाला कांकेर जिला में पहला गांव ग्राम कुडाल में लगभग 9 धर्मांतरित परिवार है। 10 दिन पहले धर्मांतरित परिवार के एक महिला की मृत्यु होने के बाद कफन दफन को लेकर गांव में बवाल हुआ था जिसके बाद ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर पास्टर पादरी को गांव में आने से सख्त मना किया गया है।