शिक्षक को समाज को शिक्षित करने की महती जिम्मेदारी, बाल्यकाल में जो संस्कार देगें तो वह अटल हो जाएंगे: शर्मा

3/13/2022 10:14:14 PM

नसरुल्लागंज (अमित शर्मा): महक वाटिका में टीएलएम (शिक्षक लर्निंग मटेरियल) प्रतियोगिता को संबोधित करते हुए पूर्व निगम अध्यक्ष गुरु प्रसाद शर्मा ने कहा कि भारत की यह भूमि प्रतिभाओं की जननी है। किस घर में कौन सी प्रतिभा उत्पन्न हो जाए। यह किसी को नहीं मालूम। उन्होंने अपने ग्रह गांव मंडी का उदाहरण बताते हुए कहा कि मेरे ही गांव की एक छोटी सी बच्ची कावेरी जो मेरे सामने नर्मदा नदी में चप्पू चलाया करती थी। आज नौका संचालन में अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी है। उन्होंने शिक्षकों को भारत का भाग्य विधाता एवं भावी भारत के निर्माता के रूप में संबोधित किया। उन्होंने उदाहरण दिया कि जब भारत के अतीत में झांकते हैं, तो देखने में आता हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत पहले से ही अग्रणी है। जब विश्व के अन्य देशों के लोग कपड़ा पहनना भी नहीं जानते थे। तब इस देश में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय थे। जिसमें सारे देश के विद्यार्थी पढ़ने आते थे। इस देश के अंतिम चक्रवर्ती सम्राट राजा चाणक्य तक्षशिला में ही पड़े थे। 

देश के गुलाम पर आत्मचिंतन 

लेकिन एक बात हमेशा पीड़ा पहुंचाती है कि शिक्षा के प्रति तो हम जागरूक थे। लेकिन रक्षा के प्रति राष्ट्र के प्रति हम जागरूक नहीं थे। हम शिक्षा, धन और बल में भी किसी से पीछे नहीं थे। क्योकि महाराणा प्रताप का भाला और शिवाजी महाराज की तलवार आज के 10 पहलवान भी नहीं उठा सकते हैं। यदि कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति जब भारत के इतिहास का चिंतन और मनन करेगा तो उसके मस्तिष्क में बार बार यह बात आएगी कि यहां सब कुछ तो था फिर देश बार-बार गुलाम क्यों हुआ। क्योकि उस समय नहीं था तो केवल राष्ट्रीय भाव। हम आज विद्यार्थियों को रक्षा के संस्कार दे रहे हैं या नहीं। जिस देश में राष्ट्र भाव होता है तो बड़े से बड़े दुश्मन से भी टकराने में भी पीछे नहीं रहता।

रूस-यूक्रेन का उदाहरण 

उन्होंने यूक्रेन का उदाहरण देते हुए कहा कि यूक्रेन, रूस का दसवां हिस्सा भी नहीं है। पूरा संसार कह रहा था कि जिस दिन रूस ने आक्रमण कर दिया तो 24 या 48 घंटे में ही यूक्रेन को मिटा देगा। लेकिन 16 दिन हो गए, उन्हें लड़ते हुए और वह इसलिए लड़ रहे हैं कि उनमें राष्ट्रभक्ति है देशभक्ति है। उन्होंने आज की शिक्षा पद्धति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अब कोचिंग एक फैशन बन गया है। हम जब पढ़ते थे तो हमें यह भी नहीं मालूम कि कोचिंग क्या होती है। लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि भारत का प्रख्यात विश्वविद्यालय बनाने वाले मदन मोहन मालवीय किसी भी प्राइवेट संस्था में नहीं पड़े।

शिक्षक पर समाज के कल्याण की बड़ी जिम्मेदारी 

सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरिसिंह गौड़ भी सरकारी विद्यालय में पड़े। लेकिन तब और अब में फर्क है। पहले शिक्षक और विद्यार्थी दोनों ही उत्तरदाई थे। आज के विद्यार्थी के बारे में कुछ नहीं कहना चाहता और शिक्षकों को भी आत्म अवलोकन करना होगा। शिक्षक को समाज को शिक्षित करने की महती जिम्मेदारी है। बच्चे की प्रथम गुरु माता होती है। इसलिए माता-पिता की जिम्मेदारी भी होती है कि वह बच्चों को राष्ट्रीय संस्कृति के बारे में समय-समय पर जानकारी दें। बच्चो की बाल्यकाल में बुद्धि तीव्र होती है तब दिमाग में अन्य कोई बात नहीं होती। इसलिए बाल्यकाल में जो संस्कार हम देंगे वह अटल हो जाएंगे।

बुधनी क्षेत्र और शिक्षा 

उन्होंने अपने मन के भाव बताते हुए कहा कि एक शिक्षक बनना चाहता था। लेकिन मेरे भाग्य में कुछ और ही लिखा था, मेरा सबसे प्रिय विषय था शिक्षा, लेकिन यह भी कम नहीं है जो है जिस दिन समाज की सेवा करने का संकल्प मन में लिया था अब मेरे मन में केवल एक ही बात थी और मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से यह बात हमेशा कहा करता था कि इस क्षेत्र की स्थिति तो देखो तब वह मुझसे कहा करते थे कि चिंता क्यों करते हो मौका तो मिलने दो, जब मौका मिलेगा तो चक्रवर्ती ब्याज का चक्रवर्ती ब्याज भी बुधनी क्षेत्र की जनता के चरणों में आकर डाल देंगे।

कार्यक्रम में मौजूद रहे शिक्षक 

कार्यक्रम को भाजपा जिला अध्यक्ष रवि मालवीय, जिला उपाध्यक्ष लखन यादव, मंडल अध्यक्ष धीरज पटेल ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से लाड़कुई मंडल अध्यक्ष श्याम सिंह, कपिल खंडेलवाल सहित शिक्षक एवं पालक मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन बीआरसी भूपेश शर्मा ने किया एवं आभार डीपीसी श्रीवास्तव ने माना।


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News Editor

Devendra Singh

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