देशभर में धूम मचा रही जशपुर की नाशपाती, भारी डिमांड मिलने के बाद मालामाल हुए किसान

8/4/2022 12:10:55 PM

रायपुर: छत्तीसगढ़ के जशपुर (jashpur farmer) जिले की नाशपाती का स्वाद देश की राजधानी दिल्ली को पसंद आ रहा है। दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, रांची समेत देश के विभिन्न राज्यों में जशपुर की नाशपाती (pear of jashpur) की डिमांड तेजी से सामने आ रही है। प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी संस्कृति के लिए देशभर में प्रसिद्ध जशपुर के दूरस्थ अंचलों के किसान अपने खेतों में साग-सब्जी के अलावा नवीन पद्धति से चाय, काजू, टमाटर, मिर्च, आलू की भी अच्छी खेती कर रहे हैं। यहां के बगीचा विकासखंड के पठारी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर नाशपाती (farming of pear) की खेती हो रही है। खेती से अंचल के किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है। जशपुर में लगभग रकबा 750.00 हेक्टेयर में 660 मीट्रिक टन नाशपाती का उत्पादन हो रहा है। जिससे 17 सौ से भी अधिक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। उनके जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन आ रहा है। 

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खेती से मिल रहा है स्वरोजगार 

जशपुर जिले के बालाछापर में हो रही चाय की खेती और बस्तर के दरभा में हो रहे पपीते की खेती आज पूरे देश में सुर्खियां बंटोर रही है। छत्तीसगढ़ में कृषि के क्षेत्र में आए अभूतपूर्व बदलाव इस बात की तस्दीक करता है कि कृषि में अब सामान्य से बढ़कर व्यापक और नवाचारी परिवर्तन आ रहा है, जो लोगों को रोजगार, स्व-रोजगार से जोड़ रहा है।

किसान की आमदनी में हुआ इजाफा

कई किसानों ने उद्यान विभाग की नाशपाती क्षेत्र विस्तार योजना का लाभ लेते हुए अपने यहां नाशपाती का उत्पादन शुरू किया है। इन्हीं में से एक हैं बगीचा विकासखंड के किसान विरेन्द्र कुजूर, जिन्होंने अपने उद्यान में नाशपाती के 250 पेड़ लगाए हैं। अब हर साल उन्हें फल संग्रहण कर विक्रय से लाखों रूपए की आय हो रही है। इसके साथ ही उनके इस काम से स्थानीय लघु किसानों एवं कृषि मजदूरों को भी रोजगार भी मिला है। 

सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ 

किसान विरेन्द्र बताते हैं कि साल 2021-2022 में नाशपाती उत्पादन कार्य से वह उन्हें लगभग 3 लाख रूपए की आय हुई। उन्होंने बताया कि सरकार की योजनाओं का प्रत्यक्ष लाभ उन्हें मिला है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है। विशेषज्ञ अधिकारियों के मार्गदर्शन में वे लगातार काम कर रहे हैं, अब वह इस काम को और विस्तार देना चाहते हैं।

किसानों की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) की संकल्पना के आधार पर छत्तीसगढ़ में खेती, बागवानी एवं वानिकी से जुड़े क्षेत्रों में उत्पादन की आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने और किसानों को प्रोत्साहित करने की दिशा में लगातार काम हो रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी के तहत गांवों में साग-सब्जियों एवं स्थानीय जलवायु के आधार पर फल के उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। गांव, ग्रामीणों और किसानों की आर्थिक स्थिति एवं जीवन स्तर में बदलाव लाने के उद्देश्य से ऐसी योजनाओं का धरातल पर क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिनसे लोगों की जेबें भर रही हैं।

भौगोलिक परिवेश का किसान उठा रहे हैं लाभ 

सरकार प्रदेश में कृषि को बढ़ावा देने एवं किसानों को आर्थिक सशक्त बनाते हुए प्रोत्साहित करने के लिए कई अहम योजनाओं ला रही है। दूरस्थ अंचलों में किसान धान के अलावा भी कई प्रकार की खेती कर रहे हैं। इनमें फल के उत्पादन भी शामिल हैं, इससे न केवल प्रदेश में उत्पादन क्षमता स्थानीय रोजगार के लिए भी रास्ते खुले हैं। छ्तीसगढ़ के किसानों एवं दूरस्थ अंचलों में ग्रामीणों को भौगोलिक परिवेश के अनुकूल आधुनिक पद्धति से कृषि के लिए विशेषज्ञों का मार्गदर्शन और सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है।


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News Editor

Devendra Singh

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