नर्मदापुरम में 4 सौ साल से कायम है हिंदू-मुस्लिम भाईचारा, गौरीशाह बाबा की दरगाह से शुरु हुआ संत शिरोमणि रामजीबाबा मेला

Saturday, Feb 04, 2023-01:19 PM (IST)

नर्मदापुरम (गजेंद्र राजपूत): नर्मदांचल की संस्कृति प्राचीन काल से ही सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की रही है। आज से करीब चार सौ साल पहले रामजीबाबा और सूफी संत गौरीशाह बाबा की मित्रता ने क्षेत्र में जो अमन चैन के बीज बोए उनकी हरियाली से आज भी नर्मदापुरम और आसपास के क्षेत्रों में हिंदू मुस्लिम एकता की मिशाल नजर आती है। इसी कारण आज भी वर्षों पुरानी पंरपरा का निर्वाह नगर में किया जाता है।

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इसी कड़ी में सांप्रदायिक सदभावना एवं हमारी संस्कृति के प्रतीक संत शिरोमणि रामजीबाबा मेले का प्रारंभ गौरीशाह बाबा की दरगाह पर चादर चढ़ाने की रस्म के साथ हुआ। संत शिरोमणि श्री रामजी बाबा के मेले का शुभारंभ प्रतिवर्ष इसी परंपरा के साथ किया जाता है जिसमें समाधि पर पूजा अर्चना के बाद गौरीशाह बाबा की दरगाह पर चादर पेश की जाती है और अमन चैन की दुआ मांगी जाती है। मां नर्मदा की गोद में बसे नर्मदापुरम नगर में सैंकड़ों वर्ष पहले आध्यात्मिक संत रामजी बाबा और सूफी संत गोरीशाह बाबा की मित्रता हुई।

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दोनों संतों ने नर्मदांचल की में आपसी प्रेम और भाईचारे की बीज बोए। मान्यतानुसार दोनों संतो की मित्रता इतनी प्रगाढ़ हो गई कि उनके दुनिया से जाने के बाद भी मित्रता अमर है। आज नर्मदापुरम मे राम जी बाबा समाधि स्थल से गौरीशाह की दरगाह पर चादर अर्पण की गई और देर शाम गोरी शाह दरगाह से राम जी बाबा मंदिर पर निशान चढ़ाया जायेगा और देर शाम ही राम जी बाबा मेले का औपचारिक शुरुआत हो जाएगी।


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Content Writer

meena

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