नगरपालिका की साधारण बैठक में जोरदार हंगामा! दो महिला पार्षदों की बिगड़ी तबीयत, ले जाना पड़ा अस्पताल
Monday, Mar 24, 2025-08:15 PM (IST)

गुना (मिस्बाह नूर) : बजट और नामांतरण के हक हस्तांतरण, जलकर बढ़ाने जैसे कई गंभीर विषयों पर चर्चा करने आयोजित गुना नगरपालिका का साधारण सम्मेलन बेहद हंगामेदार रहा। साधारण सम्मेलन में नगरपालिका अध्यक्ष को नामांतरण के अधिकार सौंपने के मुद्दे पर कई पार्षदों ने नाराजगी जाहिर की। इस मुद्दे पर बहस इतनी बढ़ गई कि विपक्षी पार्षद अध्यक्ष की आसंदी तक पहुंच गए। सत्ताधारी दल के एक पार्षद सीधे सीएमओ से मुंहवाद करने लगे। हंगामे के हालात देखकर दो महिला पार्षद इतना डर गईं कि उनकी सेहत तक खराब हो गई। एक पार्षद की तबियत बिगड़ने पर उन्हें तुरंत जिला अस्पताल भेजना पड़ा।
बता दें कि नगरपालिका गुना ने सोमवार को बजट और शहर विकास से जुड़े तमाम मुद्दों पर चर्चा करने के लिए साधारण सम्मेलन बुलाया था। सम्मेलन में एक के बाद एक कई मुद्दों पर चर्चा हो रही थी। परिषद की बैठक में जैसे ही नामांतरण प्रक्रिया का अंतिम अधिकार नगरपालिका अध्यक्ष को सौंपने की बात आई तभी कई पार्षदों ने विरोध शुरु कर दिया। नगरपालिका उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र सोनी ने आरोप लगाया कि नगरपालिका में 1200 से ज्यादा नामांतरण लंबित हैं, लोग परेशान हैं और अध्यक्ष मनमानी कर रहे हैं। इस मामले का जवाब दे रहे अध्यक्ष सविता गुप्ता के पति अरविंद गुप्ता को भी यह कहकर बोलने से रोक दिया गया कि वे विधायक प्रतिनिधि हैं, उन्हें जवाब देने का अधिकार नहीं है। प्रस्ताव का विरोध नेता प्रतिपक्ष शेखर वशिष्ठ और भाजपा के पार्षद दिनेश शर्मा ने भी किया। दिनेश शर्मा तो सीधे सीएमओ तेजसिंह यादव से मुखातिब होकर इतना आक्रोशित हो गए कि उन्होंने अपने निर्वाचित जनप्रतिनिधि होने का हवाला तक दे दिया। पार्षदों की कुर्सियों से शुरु हुआ हंगामा नगरपालिका अध्यक्ष की आसंदी तक पहुंच गया।
दरअसल, विपक्षी पार्षद चाहते थे कि फिलहाल लंबित पड़े नामांतरण प्रकरणों को एक बैठक बुलाकर तुरंत निपटाया जाए। नामांतरण मामले में बहस के दौरान सीएमओ ने शाखा प्रभारी राकेश भार्गव को भी तलब कर दिया, जिन्होंने बैठक में नामांतरण प्रकरण एक साथ निपटाने पर असहमति जताई। नगरपालिका अध्यक्ष और सीएमओ की ओर से पूर्व कलेक्टर सत्येंद्र सिंह के आदेश का हवाला दिया गया। जिसमें परिषद को नामांतरण के लिए व्यवस्था बनाने का अधिकार दिया गया था। इस मामले में भी विपक्ष पार्षदों ने तकनीकी खामी गिनाते हुए कहाकि कलेक्टर का आदेश पारित होने के 7 दिनों के भीतर यह बैठक बुलाई जाना चाहिए था, लेकिन लगभग डेढ़ महीने तक नगरपालिका ने बैठक तक बुलाना उचित नहीं समझा। हालांकि भारी हंगामे के बावजूद नगरपालिका ने एक सादा कागज पर एजेण्डे पर सहमति पार्षदों के हस्ताक्षर करवा लिए।
नगरपालिका अध्यक्ष सविता गुप्ता ने दावा किया कि अध्यक्ष को नामांतरण के अधिकार देने पर 20 पार्षदों ने सहमति जताई है और हस्ताक्षर किए हैं। विपक्षी पार्षदों ने विरोध करते हुए दावा किया कि अधिकांश पार्षदों को निर्णय नहीं लेने दिया गया। जिस समय हस्ताक्षर कराने की प्रक्रिया चल रही थी तभी सदन के अंदर महिला पार्षदों के पति या अन्य रिश्तेदार अंदर आ गए और उन्हें मार्गदर्शन देने लगे। नगरपालिका उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र ने खुलेआम विरोध किया। नेता प्रतिपक्ष शेखर वशिष्ठ ने तो बीमार महिला पार्षदों से हस्ताक्षर कराने को आमनवीय तक करार दे दिया। इसी बीच वार्ड 28 की महिला पार्षद तरन्नुम खान बेहोश हो गईं, जिन्हें तुरंत अस्पताल भेजा गया।
नगरपालिका की हंगामेदार बैठक के दौरान शहर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा हुई। जिनमें खासतौर पर नगरपालिका के जलकर और सम्पत्तिकर को बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया गया है। परिषद ने नगरपालिका की पेयजल सप्लाई के दौरान वसूली जाने वाले 160 रुपए को बढ़ाकर अब 170 रुपए कर दिया है। वहीं सम्पत्तिकर में भी कुछ प्रतिशत का इजाफा किया गया है। इसके अलावा बस स्टैंड क्षेत्र से जुड़े विकास कार्यों को लेकर भी चर्चा की गई।