खैरागढ़ सिविल अस्पताल बना मवेशियों का अड्डा ! मरीज डरे-सहमे, जिम्मेदार बेखौफ
Tuesday, Aug 26, 2025-07:54 PM (IST)

खैरागढ़ (हेमंत पाल) : खैरागढ़ जिला मुख्यालय का सिविल अस्पताल इन दिनों बीमारों की सेवा के बजाय जानवरों की आरामगाह बना हुआ है। जहां एक ओर मरीज इलाज की आस में अस्पताल की चौखट पर पहुंचते हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें मवेशियों और आवारा कुत्तों के बीच अपना इलाज करवाना पड़ रहा है। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि अस्पताल के भीतर अब इंसानों से ज्यादा जानवर दिखाई दे रहे हैं।
कुछ दिन पहले ही एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें अस्पताल के बेड पर एक कुत्ता तकिया लगाकर आराम फरमा रहा था। उस वक़्त यह उम्मीद जगी थी कि अब शायद अस्पताल प्रबंधन जागेगा, पर स्थिति जस की तस बनी रही। अब नया नज़ारा सामने आया है अस्पताल परिसर के अंदर, दवाइयों और इंजेक्शनों से भरे वार्ड में, एक सांड बेखौफ घूमता नज़र आया। यह नज़ारा न केवल हास्यास्पद था, बल्कि डरावना भी। सोचिए, जहां जख्मी और बीमारों को आराम और सुरक्षा मिलनी चाहिए, वहां खुलेआम जानवर घूम रहे हैं।
मरीजों की जान जोखिम में, पर प्रशासन खामोश
अस्पताल में न तो कोई सुरक्षा व्यवस्था है और न ही कोई रोक-टोक। नतीजा यह है कि मरीज और उनके परिजन हमेशा डर के साये में रहते हैं न जाने कब कोई जानवर हमला कर दे। स्थानीय लोगों में गुस्सा है, उनका कहना है कि यदि समय रहते स्थिति नहीं सुधारी गई तो कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है। पर सबसे बड़ा सवाल यह है आखिर इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन?
स्वास्थ्य विभाग कब जागेगा?
स्वास्थ्य विभाग को इस पर सख़्त संज्ञान लेना चाहिए। यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि मानवता के साथ खिलवाड़ है। सवाल यह नहीं कि अस्पताल में जानवर क्यों घूम रहे हैं, सवाल यह है कि आखिर इंसानों की जान की कीमत इतनी कम क्यों हो गई है?
क्या खैरागढ़ सिविल अस्पताल इलाज के लिए है, या जानवरों के विश्रामगृह के लिए?
जब तक व्यवस्था में बदलाव नहीं होगा और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक मरीज ऐसे ही जानवरों के बीच जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहेंगे।