बैतूल में 1169 में से 1144 किसान फर्जी! गिरदावरी में बड़ा हेरफेर, शक के घेरे में पटवारी की भूमिका
Saturday, Nov 01, 2025-07:26 PM (IST)
बैतूल (रामकिशोर पंवार) : समय रहते यदि नदी पर बांध बना दिया होता तो बाढ़ से आपदा नहीं आती है। आंगन में आई बाढ़ से सब कुछ बहा ले जाने के बाद उसकी समीक्षा करना कहां की नीति - रीति है। मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में मक्का - ज्वार के पंजीयन साख सहकारी समितियों के माध्यम से करवाए गए। पंजीयन करवाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका ग्राम पंचायत के पटवारी से लेकर नायब तहसीलदार की होती है जिसके पासवर्ड से सरकारी रिकार्ड में किसानों के खेतों में बोई गई फसलों की गिरदावरी दर्ज की जाती है। बीते महीने ज्वार के पंजीयन में हुई गड़बड़ी का मामला उजागर होने के बाद समर्थन मूल्य पर ज्वार के 1169 दर्ज पंजीयन में से एक दो नहीं बल्कि 1144 पंजीयन फर्जी पाए गए। जिन्हें मामले के तूल पकड़ते ही 1144 किसानों के द्वारा दर्ज की गई ज्वार की फसल के समर्थन मूल्य पर पंजीयन को निरस्त कर दिया गया। जिले में 1169 में से मात्र 25 ही ऐसे किसान सही पाए गए जिनके खेतों में मौजूदा समय में ज्वार बोई गई है। अगले माह दिसम्बर 2025 में इन 25 किसानों से ज्वार की खरीदी की जाएगी।
मध्यप्रदेश - महाराष्ट्र की सीमा पर बसे आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से बड़ी मात्रा में अनाज - तिलहन के थोक एवं फूटकर व्यापारियों ने ज्वार की खरीदी कर ली। मध्यप्रदेश में ज्वार हाइब्रिड 3 हजार 371 रूपये प्रति क्विंटल तथा ज्वार मालदंडी 3 हजार 421 प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदी जाना है। महाराष्ट्र के बैतूल जिले की सीमा से लगे अमरावति जिले में 1500 सौ रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से मण्डी में बेची जा रही है लेकिन गांव - गांव में डेरा डाले अनाज तिलहन के व्यापारियों द्वारा सीमा पर मण्डी बेरियर न होने के कारण जिले में पहुंचाई जा चुकी है। दामजीपुरा - आठनेर - भैसदेही - प्रभात पटट्न - सांवलमेंढा - भैसदेही ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर राज्य की सीमा पर कृषि उपज चेकिंग बेरियर नहीं है। 1500 सौ रूपये प्रति क्विंटल की ज्वार को 1144 व किसानों के नाम पर पंजीकृत कर बेचे जाने का पूरा मामला उजागर होने के बावजूद खबर लिखे जाने तक किसी भी पटवारी, नायब तहसीलदार पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
जिले में मौजूदा समय पर 5 अनुविभाग तथा 8 तहसील है। अनुविभाग में मुलताई, आमला, बैतूल, भैसदेही, शाहपुर है। जिले की 587 ग्राम पंचायतों के 1465 गांवो में 498 पटवारी द्वारा खरीफ एवं रबी की फसलो की गिरदावरी तहसीलदार एवं एसडीएम के संज्ञान में लाने के बाद दर्ज की जाती है। गिरदावरी दर्ज होने के आधार पर साख सहकारी समितियों के माध्यम से समिति के कम्प्यूटर आपरेटर उनका खरीदी के लिए ऑनलाइन पंजीयन करते हैं। मौजूदा समय में 5 हजार हेक्टेयर में गिरदावरी दिखाकर 1169 किसानों के पंजीयन किए थे। जब पूरे मामले को मीडिया ने उठाया तो पटवारी एवं तहसीलदार ने उन्हीं खेतों में जाकर उनके द्वारा पूर्व में किया गया तथाकथित सत्यापन किया तो पाया कि अधिकांश खेतों में ज्वार की जगह मक्का की बोवनी होना पाया गया। एक हाथ से राईट और दुसरे से रांग दिखाने वाली पटवारी एवं तहसीलदार की मिली भगत के कारण राज्य सरकार के सरकारी पोर्टल पर बैतूल जिले के ज्वार के 1169 में से 1144 पंजीयन को निरस्त करना पड़ा। जमीनी सत्यापन के बाद केवल 25 किसानों के पंजीयन ही सही पाए गए यानी जिले में केवल 50 हेक्टेयर में ही ज्वार बोना मिला। महाराष्ट्र से ज्वार लाकर बेचने के लिए व्यापारियों ने सर्वेयरों और पटवारियों से सांठ-गांठ कर जिले में 5 हजार हेक्टेयर में गिरदावरी दर्ज कर किसानों के फर्जी पंजीयन अपने नामों पर किए थे। जिला कलेक्टर के द्वारा पांच राजस्व अनुविभागों के एसडीएम को ज्वार के पंजीयन का सत्यापन खेतों में जाकर करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद एसडीएम भौतिक सत्यापन करने नहीं पहुंचे और उनके द्वारा उन्ही तहसीलदार - पटवारी को खेतों में पहुंचा कर उन्ही से फर्जीवाड़े को सुधरवाया गया लेकिन फर्जीवाड़ा करने वाले किसी भी पटवारी या तहसीलदार के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई जबकि कानून कहता है कि अपराध और अपराध मे लिप्त सभी उस अपराध के लिए दण्ड के भागीदार होते हैं।
सबसे बड़ी चौकान्ने वाली बात यह सामने बाई कि 10 विकासखण्डों में से 4 अनुविभागों में में ज्वार की बोवनी 0 (जीरो) मिली। जिले में तहसीलदारों व राजस्व अमले द्वारा खेतों में जाकर किए सत्यापन के बाद जिले के भीमपुर, शाहपुर, बैतूल, प्रभातपट्टन तथा मुलताई में 25 किसानों के खेतों में ज्वार बोना पाया गया। इसके अलावा घोड़ाडोंगरी, चिचोली, आमला, आठनेर, भैंसदेही में कहीं भी ज्वार की फसलें बोना नहीं पाया गया। अगर इस फर्जीवाड़े की शिकायत पर खरीफ की फसल का भोतिक सत्यापन ( खेतों में जाकर फसल) का निरीक्षण नहीं होता तो पड़ोसी महाराष्ट्र जिले के अमरावती जिले की 5000 हजार क्विंटल ज्वार बैतूल जिले के किसानों के नाम पर सरकारी समर्थन मूल्य पर बिकने जा रही थी।

