शिवराज के कद को समझ क्या रखा है ? कम से कम MP के सियासी पंडितों से ऐसी उम्मीद तो नहीं थी…

8/17/2022 4:46:47 PM

भोपाल (हेमंत चतुर्वेदी) : आज की दोपहरिया ने एक बार फिर से भोपाल की बरसती हुई फिजाओं में गर्मी घोलकर रख दी, खबर दिल्ली से आई थी, टेंपरेचर मध्यप्रदेश का गर्मा गया था। मुद्दा था वही शिवराज सिंह का कद...संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति के पुनर्गठन में जब शिवराज सिंह को जगह नहीं मिली, तो अचानक ही प्रदेश के सियासी पंडित खबर पर ऐसे टूट पड़े, जैसे बिल्ली में हाथ में छींका लग गया हो। ये खबर लिखते लिखते तक कई भाजपा नेताओं और पत्रकारों के व्यक्तिगत फोन मुझ तक आ गए थे, लोग पूछ रहे थे, कुछ हो गया क्या? बताओ क्या खबर है? मैंने कहा, कुछ नहीं हुआ है, और न कुछ होगा, देख लेना 2023 में यही शिवराज होंगे, यही भाजपा होगी, यही प्रदेश होगा और मुख्यमंत्री का चेहरा भी यही होगा। 

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इस विषय में आर्टिकल लिखने का मेरा कोई उद्देश्य नहीं था, लेकिन तमाम लोगों की जीजीविषा को शांत करने के लिए लिखना पड़ रहा है। दरअसल मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्य के दो दशक के मुख्यमंत्री के कद स्वभाविक तौर पर उस स्थिति में पहुंच जाता है, कि उसका निर्धारित किसी समिति या बोर्ड में उसकी सदस्यता नहीं कर सकती, खासकर उस स्थिति में, जब पार्टी हाईकमान ये बात डंके की चोट पर कह चुका है, कि 2023 का विधानसभा चुनाव भी वो शिवराज के चेहरे पर ही लड़ेगी, और आप ही सोचिए अगर शिवराज के चेहरे पर चुनाव लड़कर भाजपा चुनाव जीत गई, तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा ? जाहिर सी बात है, वही शिवराज...

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बोर्ड में भाजपा का कोई भी CM नहीं

अब जरा भाजपा के संसदीय बोर्ड की बनावट पर भी गौर कर लेते हैं, जिसमें आपको भाजपा का कोई भी मुख्यमंत्री नजर नहीं आएगा। बस अगर आप थोड़े बहुत राजनीति के जानकार हैं, तो इतना जरूर समझ लेंगे, कि इस बार सिर्फ उन लोगों को एडजस्ट किया गया है, जिनका भाजपा ने कुछ समय पहले डिमोशन किया था, इस पंक्ति में आपको दो राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और बीएस येदियुरप्पा नजर आएंगे और तो और देश के बड़े नेताओं में से एक उत्तरप्रदेश में भाजपा को वापसी दिलाने वाले योगी आदित्यनाथ का इसमें शामिल होना भी बड़ी खबर नहीं बनी, लेकिन शिवराज को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। सही मायनों में अगर हम देखें, तो इस लिस्ट में मौजूदा नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री को उपकृत किया गया है। 

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शिवराज के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी

मध्यप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जाहिर है जब चेहरा शिवराज सिंह चौहान का होगा, तो सारा दारोमदार भी उन्हीं के कंधों पर होगा। ऐसे में अगर हम कहें, कि भाजपा अगले एक साल तक उन्हें जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ाना चाहती है, तो शायद इसमें कोई बेमानी नहीं होगी। बाकी आने वाले समय में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें गुजरात के अलावा अधिकतर पूर्वात्तर और दक्षिण के राज्य शामिल हैं, संबंधित राज्यों को आप शिवराज के प्रभाव के बाहर क्षेत्र भी मान सकते हैं, हालांकि बतौर स्टार प्रचारक शिवराज सिंह आपको वहां मौजूद नजर आएंगे, लेकिन शायद उस वक्त पार्टी खुद ये चाहेगी, कि वो मध्यप्रदेश के लिए ही ज्यादा समर्पण के साथ काम करें।


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Content Writer

meena

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