जान हथेली पर लेकर नदी पार करते हैं ये बच्चे... शिक्षा की राह में मौत का डर भी नहीं रोक पाया इनका हौसला

Thursday, Aug 21, 2025-05:20 PM (IST)

दुर्ग (हेमंत पाल ) :  जहां एक ओर देश चांद पर पहुंचने की तैयारी में है, वहीं छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के धमधा ब्लॉक के मुढ़पार गांव में बच्चे आज भी अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इस गांव में पांचवीं तक ही स्कूल है। इसके बाद की पढ़ाई के लिए बच्चों को घोटवानी गांव जाना पड़ता है, जो यहां से लगभग 2 किलोमीटर दूर है। लेकिन इन दोनों गांवों के बीच बहती है एक बेबाक नदी, जो बारिश में उफान पर होती है।

हर सुबह ये मासूम बच्चे, हाथ में बस्ता और दिल में डर लेकर नदी पार करते हैं - बिना पुल, बिना नाव, बिना किसी सुरक्षा के। कई बार बच्चों की साइकिलें बह चुकी हैं, और कुछ बच्चों ने डर के कारण स्कूल जाना तक छोड़ दिया है।

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बाढ़ में फंसे, उम्मीदों में जीते ग्रामीण

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि बरसात में जब नदी और नाले उफान पर होते हैं, तो गांव पूरी तरह से कट जाता है। बाहर जाने का कोई रास्ता नहीं बचता। दो बच्चे की डिलीवरी के दौरान समय पर अस्पताल न पहुँच पाने के कारण मौत हो गई।

आजादी के इतने सालों बाद भी नहीं पहुंचा विकास

गांव में न तो पक्की सड़क है, न पुल-पुलिया और न ही पर्याप्त सरकारी सहायता। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई, लेकिन फाइलें आगे नहीं बढ़तीं। बच्चे कहते हैं - हमें डर तो लगता है, लेकिन स्कूल जाना ज़रूरी है। नहीं पढ़ेंगे तो क्या करेंगे?

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प्रशासन कब देगा जवाब?

जहां शिक्षा को हर बच्चे का अधिकार बताया जाता है, वहीं इन बच्चों की यह जमीनी सच्चाई सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़ा करती है।

अब सवाल यह है ?

क्या शासन-प्रशासन इन बच्चों की आवाज सुनेगा? क्या मुढ़पार गांव को भी कभी सुरक्षित रास्ता, पुल और बेहतर भविष्य मिलेगा?


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meena

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