आदिवासी महिला के अंतिम संस्कार पर विवाद, ग्रामीण बोले- धर्म बदलो, तभी श्मशान में मिलेगी ऐंट्री

Saturday, Sep 13, 2025-07:08 PM (IST)

बैतूल: मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के आमला ब्लॉक के कन्नड़गांव में एक आदिवासी परिवार को उस समय गहरी पीड़ा झेलनी पड़ी, जब 50 साल की ललिता परते के निधन के बाद ग्रामीणों ने उनके अंतिम संस्कार में बाधा डाल दी। आरोप था कि परिवार ने वर्षों पहले ईसाई धर्म अपना लिया था, इसलिए उन्हें गांव के श्मशान घाट का उपयोग करने का अधिकार नहीं है।

 

असहाय हुआ परिवार

ललिता के पुत्र राजाराम ने बताया कि जैसे ही मां के निधन की खबर फैली, गांव के लोगों ने उनके घर तक आना बंद कर दिया। श्मशान घाट के उपयोग पर रोक लगाकर समाज ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि इस परिवार का अब उनसे कोई संबंध नहीं है। अंतिम संस्कार जैसे संवेदनशील मौके पर सामाजिक बहिष्कार ने परिवार को बेहद असहाय बना दिया।


देवी-देवताओं की कसम खाकर की ‘घर वापसी’

स्थिति तब बदली जब ललिता के बेटे, बेटियों और दामाद ने गांव के देवी-देवताओं की कसम खाते हुए कहा कि वे अब पूरी तरह आदिवासी परंपराओं का पालन करेंगे। परिवार ने बड़ा देव की कसम खाकर माफी मांगी और घोषणा की कि भविष्य में किसी अन्य धर्म का लालच स्वीकार नहीं करेंगे। इसके बाद ग्रामीण नरम पड़े और अंततः देर शाम ललिता का अंतिम संस्कार आदिवासी रीति-रिवाज से किया गया।
 

पंचायत और समाज का रुख

गांव की सरपंच सविता सरयाम और पंच रेवती कवड़े ने बताया कि परिवार लंबे समय से ईसाई धर्म का पालन कर रहा था, इसलिए समाज ने उनसे दूरी बना ली थी। लेकिन सार्वजनिक रूप से परंपराओं में लौटने का वादा करने पर समाज ने उन्हें स्वीकार कर लिया। ग्राम सचिव आशीष नागले ने कहा कि पंचायत जबरन धर्म परिवर्तन की निंदा करती है और शासन स्तर से पीड़ित परिवार को हरसंभव सहायता दिलाई जाएगी।


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Content Writer

Vikas Tiwari

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