ग्वालियर में महाबवाल! बाबा साहब पर टिप्पणी करने वाले अनिल मिश्रा ने रखी 4 मांगें, हनुमान मंदिर में ताला लगाने पर लगे सरकार विरोधी नारे
Tuesday, Oct 14, 2025-07:39 PM (IST)
ग्वालियर (अंकुर जैन) : मध्य प्रदेश में संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अंबेडकर और बीएन राव समर्थकों के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। शहर में किसी भी आयोजन पर रोक के बावजूद आज बीएन राव के समर्थकों ने हनुमान मंदिर में रामचरितमानस के पाठ का आयोजन किया। हालांकि पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए मंदिर में ताला जड़ दिया और किसी को शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। इस दौरान बाबा साहब अंबेडकर पर टिप्पणी करने वाले एडवोकेट अनिल मिश्रा और मौके पर मौजूद सीएसपी हिना खान में विवाद भी देखने को मिला। बता दें कि जिले में धारा 163 लागू है, जिसके तहत बिना अनुमति कोई भी कार्यक्रम नहीं किया जा सकेगा और उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की चेतावनी पहले ही प्रशासन द्वारा दी जा चुकी है।

एडवोकेट अनिल मिश्रा ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि प्रशासन मुझे आतंकवादी या गुंडा मानकर चल रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे घर के बगल में जो मंदिर है, मैं वहां रोज जाता हूं, वहां मैंने रामचरितमानस का आयोजन करवाना चाहा लेकिन प्रशासन ने वहां ताला लगवा दिया। प्रशासन सनातनियों के विरोध में क्यों जाता रहा है। प्रशासन इतने दवाब में क्यों है ? उन्होंने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि हमें हमारे कर्म-धर्म से न रोके अन्यथा अच्छा नहीं होगा।
उन्होंने प्रशासन से 4 मांगे रखी-
1.एससी एसटी एक्ट समाप्त करना चाहिए
2. देश में सनातन की स्थापना हो
3. आरक्षण समाप्त करके आर्थिक आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए
4. संविधान की रचना (उनके मुताबिक) करने वाले बीएन राव की मूर्ति की स्थापना होनी चाहिए

अनिल मिश्रा ने सरकार पर अंबेडकरवादी होने के आरोप लगाए हैं। उनका यह भी कहना है कि जिस तरह से सरकार ने सनातन धर्म के नाम पर चुनाव में वोट मांगे लेकिन इसके बाद सनातनी सरकार को अगले चुनाव में सबक सिखाएगा। अनिल मिश्रा के समर्थकों ने सीधे तौर पर आरोप लगाए कि दलित संगठनों ने जिस तरह से पूरे शहर में बिना अनुमति दर्जनों आंदोलन किया। उस पर पुलिस प्रशासन ने किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की है। ये सरकार और मुख्यमंत्री सनातन विरोधी है। वही रक्षक मोर्चे ने जय श्री राम नारे लगाए। अनिल मिश्रा ने सरकार पर अंबेडकरवादी होने के आरोप लगाए हैं। उनका यह भी कहना है कि जिस तरह से सरकार ने सनातन धर्म के नाम पर चुनाव में वोट मांगे लेकिन इसके बाद सनातनी सरकार को अगले चुनाव में सबक सिखाएगा।
ये है पूरा मामला
ग्वालियर में यह विवाद 17 मई 2025 से शुरू हुआ था, जब हाईकोर्ट परिसर में डॉ बी आर अंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर वकीलों में मतभेद हो गया था। मामले को लेकर दो गुट बन गए और माहौल बिगड़ता देख पुलिस ने मूर्ति को दूसरी जगह रखवा दिया था। वकीलों का एक पक्ष मूर्ति लगाने के लिए अड़ा हुआ है, जबकि दूसरा पक्ष इसका विरोध कर रहा है। इसी बीच एडवोकेट अनिल मिश्रा ने बाबा साहब पर विवादित टिप्पणी कर दी। उनके खिलाफ कार्रवाई हुई तो मामला और बिगड़ गया और अब यह लड़ाई हाईकोर्ट परिसर से निकलकर सोशल मीडिया पर भी पहुंच गई है। इसे लेकर राजनीतिक और सामाजिक संगठन भी आमने-सामने आ गए हैं।



