एक बाइक की वजह से मालेगांव ब्लास्ट केस में फंसीं थी साध्वी प्रज्ञा, मोदी राज आते ही बदले भाग्य, बाद में BJP ने भी किया किनारा, जानिए पूरी कहानी!

Thursday, Jul 31, 2025-08:09 PM (IST)

भोपाल: 29 सितंबर 2008... रात 9:35 बजे, महाराष्ट्र के मालेगांव के भिकू चौक पर एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में जोरदार धमाका हुआ। इसमें 6 लोगों की मौत हुई, 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए। ये था मालेगांव बम ब्लास्ट, जिसने देश को हिला दिया।

PunjabKesari, Malegaon blasts, Malegaon, Abhinav Bharat, Sadhvi Pragya, Pragya Singh Thakur, Hemant Karkare, NIA, Asaduddin Owaisi, Akhilesh Yadav, BJP, Congress

साध्वी प्रज्ञा के नाम रजिस्टर्ड थी बाइक 

मालेगांव, नासिक जिले का एक मुस्लिम बहुल इलाका है। 29 सितंबर के दिन रमज़ान के दौरान नमाज़ियों और खरीदारी करने वालों की भीड़ मौके पर मौजूद थी। तभी अचानक एक मोटरसाइकिल में रखा गया बम फटता है। इस धमाके ने न केवल लोगों की जान ली थी। बल्कि एक नए विवाद को जन्म दे दिया, और वो विवाद था हिंदू आतंकवाद। इस धमाके के बाद महाराष्ट्र ATS ने जांच शुरू की। जिसकी अगुवाई शहीद IPS हेमंत करकरे कर रहे थे।

PunjabKesari, Malegaon blasts, Malegaon, Abhinav Bharat, Sadhvi Pragya, Pragya Singh Thakur, Hemant Karkare, NIA, Asaduddin Owaisi, Akhilesh Yadav, BJP, Congress

एक बाइक ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को पहुंचाया जेल के अंदर

जांच में 'अभिनव भारत' नाम के दक्षिणपंथी संगठन का नाम सामने आया। इस संगठन के सदस्य साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत 7 लोगों पर आरोप लगे। ATS ने दावा किया कि धमाके में इस्तेमाल बाइक साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर थी। महाराष्ट्र ATS ने तुरंत कार्रवाई करते हुए साध्वी प्रज्ञा समेत तमाम आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। यहीं से शुरू हुई एक लंबी कानूनी और राजनीतिक लड़ाई। ATS का दावा था कि ये हमला एक 'हिंदू उग्रवादी साजिश' का हिस्सा था। साध्वी प्रज्ञा के साथ सेना के कर्नल श्रीकांत पुरोहित और अन्य लोगों पर भी आरोप लगे। कहा गया कि ये सभी 'हिंदू राष्ट्र' की सोच से प्रेरित होकर, मुस्लिम बहुल इलाकों को निशाना बना रहे थे। साल 2011 में इस केस की जांच NIA को सौंप दी गई।

PunjabKesari, Malegaon blasts, Malegaon, Abhinav Bharat, Sadhvi Pragya, Pragya Singh Thakur, Hemant Karkare, NIA, Asaduddin Owaisi, Akhilesh Yadav, BJP, Congress

2016 में साध्वी प्रज्ञा को मिली जमानत...

लेकिन साल 2014 में केंद्र की सत्ता बदली, तो 2016 में NIA ने जांच का रुख बदल दिया, और कहा कि साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं। उन्हें जमानत मिल गई और फिर आया एक ऐसा मोड़, जिसने देश को चौंका दिया। 2019 में साध्वी प्रज्ञा भाजपा में शामिल हुईं, और भोपाल से सांसद चुनीं गईं। हालांकि सांसद चुने जाने के बाद से भाजपा के अंदर ही साध्वी प्रज्ञा को लेकर असंतोष था। वजह ये थी की शहीद हेमंत करकरे पर अनर्गल बयानबाजी करना और संसद में नाथुराम गोडसे को देशभक्त कहने के बाद विपक्ष तो छोड़िए खुद भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा को लगभग साइडलाइन कर दिया। यहां तक मध्यप्रदेश की भाजपा इकाई के नेता भी किसी भी कार्यक्रम में साध्वी प्रज्ञा को बुलाना बंद कर दिए, और इसके बाद 2024 में साध्वी प्रज्ञा को भाजपा ने टिकट ही नहीं दिया। ऐसे में यह माना गया कि अब इनके सियासी सफर पर पूर्ण विराम लग चुका है।

PunjabKesari, Malegaon blasts, Malegaon, Abhinav Bharat, Sadhvi Pragya, Pragya Singh Thakur, Hemant Karkare, NIA, Asaduddin Owaisi, Akhilesh Yadav, BJP, Congress

17 साल बाद NIA कोर्ट ने प्रज्ञा ठाकुर को किया बरी..

इसी बीच अब 17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, 31 जुलाई 2025 को NIA की विशेष कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि सबूतों का अभाव है। बाइक का चेसिस नंबर साफ नहीं था, और RDX के दावे साबित नहीं हुए।

PunjabKesari, Malegaon blasts, Malegaon, Abhinav Bharat, Sadhvi Pragya, Pragya Singh Thakur, Hemant Karkare, NIA, Asaduddin Owaisi, Akhilesh Yadav, BJP, Congress

विपक्ष ने NIA की कार्रवाई पर उठाए सवाल...

पीड़ित परिवारों ने इसे नाइंसाफी बताया और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही। इस फैसले ने अब एक सियासी तूफान भी खड़ा कर दिया है। BJP और VHP ने इसे 'हिंदुत्व की जीत' बताया, साथ ही कांग्रेस पर 'भगवा आतंकवाद' का नैरेटिव बनाने का आरोप लगाया। AIMIM चीफ ओवैसी ने खराब जांच को ज़िम्मेदार ठहराया। अखिलेश यादव ने कहा, 'दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। इस फैसले ने एक बार फिर सवाल उठाया, कि क्या मालेगांव के पीड़ितों को कभी न्याय मिलेगा। मालेगांव ब्लास्ट केस अब इतिहास की किताबों में दर्ज हो चुका है। लेकिन पीड़ितों के ज़ख्म और सवाल अब भी बाकी हैं। क्या सच कभी सामने आएगा? ये सवाल समय पर छोड़ते हैं

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vikas Tiwari

Related News