किसानों को बड़ी राहत, खेत से बिजली लाइन निकलने पर मिलेगा 200% मुआवजा, सरकारी आवास न छोड़ने पर लगेगी बड़ी पेनाल्टी
Tuesday, Oct 28, 2025-08:29 PM (IST)
भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों और सरकारी आवास कब्जे में रखे अधिकारियों-कर्मचारियों से जुड़े दो बड़े फैसले लिए हैं। मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब हाई टेंशन लाइन बिछाने के लिए अधिग्रहित निजी जमीन के बदले किसानों को कलेक्टर गाइडलाइन का 200% मुआवजा दिया जाएगा। पहले यह मुआवजा केवल 85% दिया जाता था। इस फैसले से उन किसानों को बड़ी राहत मिलेगी जिनकी जमीनों से बिजली की उच्च क्षमता वाली लाइनें गुजरती हैं।

किसानों के लिए दोहरी राहत
नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि जब खेतों के ऊपर से 132 केवी, 220 केवी और 400 केवी की बिजली लाइनें डाली जाती हैं, तो किसानों की निजी जमीन प्रभावित होती है। अब इस जमीन का मुआवजा कलेक्टर गाइडलाइन का दोगुना (200%) दिया जाएगा। इसके अलावा, टावर के आसपास की एक-एक मीटर भूमि का भी मुआवजा किसानों को मिलेगा, भले ही वह जमीन उनके कब्जे में ही रहे। विजयवर्गीय ने बताया कि पहले लाइन बिछाने के लिए दी जाने वाली प्रतिपूर्ति राशि 15% थी, जिसे अब 30% कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि 132 केवी लाइन के लिए 28 मीटर, 220 केवी लाइन के लिए 35 मीटर, 400 केवी लाइन के लिए 52 मीटर जमीन अधिग्रहित की जाएगी।
सरकारी आवास न छोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई
कैबिनेट बैठक में एक और अहम फैसला लिया गया कि राजधानी भोपाल में सरकारी मकान आवंटन के बाद स्थानांतरण के बावजूद आवास खाली न करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों से अब 30% तक पेनाल्टी वसूली जाएगी। अब तक ऐसे मामलों में केवल 10 गुना किराया लिया जाता था, लेकिन अब उसमें 30% अतिरिक्त दंड (पेनाल्टी) जोड़ा जाएगा। यह निर्णय गृह विभाग के प्रस्ताव पर लिया गया है और इसके तहत शासकीय आवास आवंटन नियम 2000 में संशोधन किया गया है।
आदिवासी क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने की मंजूरी
कैबिनेट ने प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान के अंतर्गत पीवीटीजी समुदायों के विद्युतीकरण को भी मंजूरी दी। इसके तहत प्रदेश में 18,833 बिजली-विहीन घरों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है। जहां ग्रिड से बिजली देना संभव नहीं है, वहां सौर ऊर्जा के माध्यम से रोशनी पहुंचाई जाएगी। इस परियोजना में 60% खर्च भारत सरकार और 40% खर्च राज्य सरकार वहन करेगी

