हुमायूं कबीर को VHP नेता की चेतावनी, 1992 का मंजर याद दिलाने की कोशिश मत करो
Monday, Dec 08, 2025-04:52 PM (IST)
इंदौर (सचिन बहरानी): टीएमसी के पूर्व नेता हुमायूं कबीर के हालिया बयान को लेकर अब विवाद गहराता जा रहा है। इस मुद्दे पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक वरिष्ठ नेता ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। विश्व हिंदू परिषद के नेता ने चेतावनी देते हुए कहा है कि 1992 का मंजर याद दिलाने की कोशिश मत करो
इस देश में बाबरी जहां भी खड़ी होगी वहा-वहां ढहा दी जाएगी-शर्मा
उन्होंने कहा कि संगठन हुमायूं कबीर के वक्तव्य की घोर निंदा करता है। धार्मिक स्थलों को लेकर जानबूझकर तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है। वीएचपी नेता के अनुसार, “मुर्दों की मस्जिद नहीं बनाई जाती, आक्रांताओं की मस्जिद नहीं बनाई जाती। जहां-जहां ऐसी मस्जिदें बनाई जा रही हैं, यह गलत है और इसकी निंदा की जानी चाहिए।”
6 दिसंबर 1992 की घटना से सबक लेना चाहिए-संतोष
उन्होंने आगे कहा कि इस प्रकार की गतिविधियाँ समाज में अनावश्यक तनाव बढ़ा सकती हैं। इसके साथ ही उन्होंने 6 दिसंबर 1992 की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि उस दौर से सबक लेना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि हिंदू समुदाय को उकसाने या चेतावनी देने जैसी बातों से बचना चाहिए, क्योंकि इससे भावनाएँ आहत होती हैं।
चुनावी मौसम में ऐसे मुद्दों को उछालकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश
संतोष शर्मा ने कहा है कि चुनावी मौसम में ऐसे मुद्दों को उछालकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जाती है, खासकर बंगाल जैसे संवेदनशील राज्यों में। वीएचपी नेता ने अपने बयान में कहा कि धार्मिक मुद्दों को राजनीतिक लाभ के लिए भुनाना देशहित में नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की भूमि को बदनाम करने वाले बयानों और गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिए।
शर्मा ने चेतावनी भरे लहज़े में कहा कि “जिस प्रकार 6 दिसंबर 1992 का मंजर देश ने देखा था, वैसा दोबारा होने का खतरा तब पैदा होता है जब कुछ तत्व जानबूझकर सामाजिक तनाव को बढ़ावा देते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि विचारों और संस्कारों में भिन्नता के बावजूद सभी पक्षों को संवेदनशील धार्मिक मुद्दों पर संयम बरतना चाहिए। बाबरी मस्जिद का संदर्भ देते हुए उन्होंने विवादास्पद टिप्पणी की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि देश में शांति और सौहार्द बनाए रखने की जिम्मेदारी सभी की है।
फिलहाल इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस को जन्म दे दिया है। विभिन्न संगठनों ने अपील की है कि किसी भी प्रकार की उकसाने वाली बयानबाजी से बचा जाए और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग किया जाए।

