धान खरीदी नहीं करने का ऐलान, खरीदी शुरू होने से पहले आंदोलन के मूड में समितियां
10/15/2022 4:02:26 PM
रायगढ (पुनीराम रजक): प्रदेश में इस साल की धान खरीदी शुरू होने से पहले उपार्जन केन्द्रों के सहकारी समिति और उनके प्रबंधक धान सूखत की दर और प्रासंगिक व्यय की राशि बढ़ाने की मांग को लेकर लामबंद हो रहे हैं। सहकारी कर्मचारी संघ ने मांगें पूरी नहीं होने पर इस साल धान खरीदने से हाथ खींचने की तैयारी में है। इसके लिए बकायदा प्रदेश स्तर पर सभी जिलों में अपनी मांगों के समर्थन में 17 अक्टूबर को रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन का ऐलान किया है। हालांकि प्रशासन के अधिकारी सहकारी समिति की मांगों को शासन को अवगत कराते हुए संघ से इस संबंध में बातचीत करने की बात कह रहे हैं। लेकिन सहकारी समिति मांगें पूरी नहीं होने की स्थिति में वे धान खरीदी नहीं करेंगे, शासन अपनी किसी अन्य एजेंसी से खरीदी करा ले। इस स्थिति में खरीदी शुरू होने से पहले ही प्रशासन के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों की मांग पर एक नवंबर से धान खरीदी करने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन धान खरीदी करने वाली सहकारी समितियों के वर्षों पुरानी मांग पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है। जिससे धान खरीदी करने वाली समितियां इस साल धान खरीदी शुरू होने से पहले ही शासन से धान के सूखत की दर और प्रासंगिक व्यय की राशि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। सहकारी कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष अरूण बेहरा का कहना है कि सूखत की दर और प्रासंगिक व्यय की राशि नहीं बढ़ने से समितियों को बहुत नुक्सान उठाना पड़ता है। समिति के प्रबंधक इस नुकसान की भरपाई करने अपनी जमीन, घर के गहने और ब्याज पर रकम उधार लेने के लिए मेंबर होते हैं। ऐसी स्थिति में सहकारी कर्मचारी संघ ने इस साल मांगें पूरी नहीं होने पर धान खरीदी नहीं करने का निर्णय लिया है।
उनका कहना है कि शासन ने उपार्जन केन्द्रों को ही संग्रहण केंद्र बना दिया है। जिससे धान के उठाव में काफी विलंब होता है और इसका नुकसान धान का सूखत बढ़ने से समितियों को होता है। उनका कहना है कि 17 प्रतिशत नमी का धान खरीदी खरीदते हैं और धान का उठाव होते तक प्रति क्विंटल दो से तीन किलो सूखत आ जाता है जो समिति का लिए सीधे नुकसान है। इसके अलावा प्रासंगिक व्यय की राशि भी काफी कम है। ऐसी स्थिति में इस साल सहकारी समितियों ने धान खरीदी नहीं करने का निर्णय लिया है। सहकारी कर्मचारी संघ का यह भी कहना है कि अपनी मांगों को लेकर प्रदेश स्तर पर आंदोलन की रणनीति बनाई गई है। सभी जिलों में 17 अक्टूबर को सहकारी कर्मचारी संघ के नेतृत्व में रैली कर प्रदर्शन करेंगे। साथ अपनी मांगों को लेकर शासन को ज्ञापन सौंपेंगे। संघ का यह भी कहना है कि शासन समितियों की मांगों को माने या तो अन्य एजेंसी से खरीदी कराए। इस संबंध में विपणन विभाग के अधिकारी का कहना है कि धान खरीदी 1 नवंबर से शुरू करने पूरी तैयारी कर ली गई है। सहकारी समिति की मांग से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जा रहा है। उनसे इस संबंध में बातचीत की जाएगी।