किस्सा कुर्सी का, बात बांधवगढ़ विधानसभा की...

10/27/2018 1:45:57 PM

भोपाल: प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद सभी राजनीतिक दल सत्ता पर कब्जा जमाने की भागम-भाग में लगे हुए हैं। राजनीति की इस दिलचस्प रेस में पारिवारिक झगड़े भी शुरु हो गए हैं। दरअसल उमरिया जिले की बांधवगढ़ सीट के लिए बाप-बेटा एक ही सीट के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं। टिकट की इस खींच-तान में किसका पलड़ा भारी होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। 

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बांधव गढ़ यहां स्थित नेशनल पार्क (टाइगर रिजर्व) के लिए भी काफी मशहूर है, भाजपा का गढ़ बनी जिले की बांधवगढ़ विधानसभा सीट पर आपसी विवाद हावी होता हुआ दिख रहा है, इस सीट से ज्ञान सिंह लगातार दो बार और परिसीमन से पहले चार बार विधायक रह चुके हैं। उनके पुत्र शिवनारायण पहली बार पिता ज्ञान सिंह के शहडोल सांसद बनने से खाली हुई सीट पर उपचुनाव जीतकर विधायक बने थे। लेकिन वर्तमान में इस सीट पर हो रहा आपसी शीतयुद्ध विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए ही भारी पड़ सकता है

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2008 की राजनीतिक स्थिति...

अगर बात करें 2008 के विधानसभा चुनाव की तो भाजपा के ज्ञानसिंह को 43743 मत मिले थे। वहीं कांग्रेस को 28440 और बसपा के मनोहर सिंह मारवी को मात्र 13489 मतों से संतोष करना पड़ा था। 
विधानसभा चुनाव 2008...
कुल वोटर्स- 144311

नाम  पार्टी  प्राप्त मत
ज्ञान सिंह  बीजेपी 43743
सावित्री सिंह कांग्रेस 28440
मनोहर सिंह मरावी बीएसपी 13489

 
2013 की राजनितिक स्थिति... 
बांधवगढ़ में 2013 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के ज्ञान सिंह दूसरी बार विधायक चुने गए थे। वहीं कांग्रेस को एक बार फिर से हार का सामना करना पड़ा। बसपा भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई और मात्र 7135 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहीं।

विधानसभा चुनाव 2013... 
कुल वोटर्स - 189898

नाम  पार्टी  प्राप्त मत
ज्ञान सिंह  बीजेपी 66881
प्यारे लाल वेगा कांग्रेस 48236
रामप्यारी मनोहर सिंह मरावी बीएसपी 7135

2013 विधानसभा चुनाव के बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में विधायक ज्ञान सिंह सांसद चुने गए, जिसके कारण यह सीट खाली हो गई, लेकिन 2017 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के शिवनारायण सिंह ने यहां पर जीत दर्ज की। 
विधानसभा उपचुनाव 2017...
कुल मतदाता- 201193

नाम  पार्टी  प्राप्त मत
शिवनारायण सिंह बीजेपी 74356
सावित्री सिंह कांग्रेस 48880
लखन सिंह बड़करे जीजीपी 5444


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बेशक विधानसभा चुनाव में कुछ ही दिन बचे हैं, बावजूद इसके पिता- पुत्र के बीच टिकट को लेकर हो रहा शीतयुद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। टिकट तय होने के बाद उनकी आपसी नाराजगी पार्टी के लिए चिंता का सबब बन सकती है, इस बात को अब पार्टी भी स्वीकार कर रही है।
 

 

 


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Vikas kumar

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