बहू ने लॉकडाउन में बालकनी में बनाई वॉल पेंटिंग, ससुर को बर्थडे पर की डेडीकेट
10/11/2020 5:19:02 PM
इंदौर (सचिन बहरानी): लॉकडाउन के दौरान जहां लोग अपने घरों में कैद रहे, वहीं कुछ लोगों ने घरों में रहकर ही कुछ ऐसे काम किए जो चर्चाओं में है। इसी तारतम्य में इंदौर निवासी गर्विता भट्ट ने लॉक डाउन की निगेटिविटी को दूर करने और अपने आस-पास को पॉजिटिव बनाये रखने के लिए अपने डेली रूटीन के बाद समय निकालकर रोज 2 से 3 घंटा वाल पेंटिंग की। जिसमें ड्राफ्ट किया, स्केचिंग की, फिर उसमें कलर भरे। सोमवार को गर्विता के ससुर का जन्मदिन है जिसको लेकर गर्विता यह पेंटिंग अपने ससुर को डेडिकेट कर रही हैं।
इंदौर निवासी गर्विता भट्ट ने अपनी बालकनी में 9×5 साइज़ की वारली पेंटिंग की। वारली पेंटिंग आदिवासी कला की एक शैली है, जो ज्यादातर भारत, महाराष्ट्र में उत्तर सह्याद्री रेंज के आदिवासी लोगों द्वारा बनाई गई है। इस रेंज में पालघर जिले के दहानु, तलासरी, जौहर, पालघर, मोखदा और विक्रमगढ़ जैसे शहर शामिल हैं। इस आदिवासी कला की उत्पत्ति महाराष्ट्र में हुई थी, जहां आज भी इसका प्रचलन है। वहीं वारली चित्रकला मुख्यतः महाराष्ट्र के उत्तरी सह्याद्रि क्षेत्र से आती है। इस आदिवासी चित्रकला का प्रमुख तत्त्व प्रकृति है।
प्रकृति और प्राकृतिक जीव जंतुओं के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए आदिवासी जनजाति द्वारा बनाई जाती रही है। मुख्यतः इसमे रोज़मर्रा के कामकाज का चित्रण किया जाता है। नृत्य,संगीत ,विवाह,जन्म, खेतीआदि को इसमें दर्शाया जाता है। यह पहला मामला नहीं है जब गर्विता भट्ट ने कोई इस तरह की पेंटिंग बनाई है। इससे पहले दो हजार अठारह में गर्विता ने दिवाली पर घर के बाहर वाले हिस्से में पेंटिंग बनाई थी।