नए साल पर जन्मी बेटियों का सोने-चांदी के लॉकेट से स्वागत, माताओं को भी श्रीफल से किया सम्मानित

1/2/2023 11:38:21 AM

बैतूल(विनोद पातरिया): मध्य प्रदेश के बैतूल नए साल में पैदा हुई बेटियों का स्वागत सोने और चांदी के लॉकेट से किया गया। इस दौरान बेटियों को जन्म देने वाली माताओं का भी सम्मान किया गया। बैतूल के जिला अस्पताल पहुंचे समाजसेवियों ने नए साल पर पैदा हुई बेटियों का स्वागत सोने के लॉकेट से किया। एक प्रसूता ने जुड़वा बेटियों को जन्म दिया जिसमें एक को सोने का और एक को चांदी का लॉकेट दिया गया। इसी में साथ दूसरी प्रसूता की पैदा हुई बेटी को सोने का लॉकेट भेंट किया गया। बेटी के जन्म पर माताओं का शॉल श्रीफल से सम्मान किया गया। जबकि 21 अन्य बालिकाओं को चांदी के लॉकेट बांटे गए जो दिसंबर के आखरी दिन पैदा हुई थी।

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बेटी के जन्म पर परिवार सोचता है कि काश बेटा होता और इसी सोच को बदलने के लिए यह आयोजन किया गया। साल 2011 की जनगणना में 1,000 लड़कों पर 943 लड़कियां हैं। बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना 2015 में जनवरी से शुरू हुई थी। जिसका उद्देश्य लड़कों ओर लड़कियों में लिगांनुपात के अंतर को कम करना है।

समाजसेवी शैलेंद्र बिहारिया का कहना है कि माताओं को नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया। देश में लगातार घटती कन्या शिशु-दर को संतुलित करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई। किसी भी देश के लिए मानवीय संसाधन के रुप में स्त्री और पुरुष दोनों एक समान रुप से महत्वपूर्ण होते है। केवल बेटा पाने की इच्छा ने देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी है, कि इस तरह के योजना को चलाने की जरुरत आन पड़ी।

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समाजसेवी शैलेन्द्र बिहारिया का कहना है कि जिला अस्पताल में नए साल में एक प्रसूता को जुड़वा बेटियां पैदा हुई और एक प्रसूता को एक बेटी पैदा हुई दो बेटियों को सोने के लॉकेट और जो जुड़वा दूसरी बेटी पैदा हुई उसे चांदी का लॉकेट भेंट किया इसके अलावा बेटियों को जन्म देने वाली माताओं का भी शाल श्रीफल से सम्मान किया गया)

आयोजक अंजली का कहना है कि बेटा और बेटी में फर्क मिटाने के लिए गोल्ड और सिल्वर के लॉकेट बेटियों को वितरित किए हैं। इससे उनकी माताओं को भी गर्व महसूस हो कि उन्हें बेटी पैदा हुई है।


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meena

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