E-tender scam: अदालत ने मनीष खरे की ज़मानत अर्ज़ी की नामंजूर

Saturday, Aug 10, 2019-04:29 PM (IST)

भोपाल: ई-टेंडर घोटाले में जेल गए मनीष खरे की जमानत की अर्जी अदालत ने नांजूर कर दी है। शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश संजीव पांडे ने ये आदेश जारी किया। मनीष खरे के वकील ने अदालत में जमानत अर्जी पेश कर खुद को बेगुनाह बताते हुए जमानत मांगी थी।

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सरकारी वकील अमित राय ने जमानत पर आपत्ति करते हुए मनीष को जमानत न देने की मांग की। न्यायाधीश संजीव पांडे ने लिखा कि मनीष खरे की ओर से आईटी रिर्टन, बैलेंस शीट की कॉपी पेश की गई है लेकिन उसकी कंपनी ने ई-टेंडरिंग सिस्टम में छेड़छाड़ कर लाभांवित होने वाली कंपनियों के साथ उसके व्यापार के संबंध में कोई पर्याप्त दस्तावेज पेश नहीं किया है।

वहीं सरकारी वकील अमित राय ने मनीष खरे की जमानत पर आपत्ति करते हुए कहा कि यदि मनीष को जमानत का लाभ दिया जाता है तो वह साक्ष्य नष्ट कर सकता है। इसलिए जमानत आवेदन निरस्त किया जाए। जांच एजेंसी ने मनीष खरे के खिलाफ पर्याप्त सबूत इकट्‌ठा कर उसके खिलाफ चालान पेश किया है।

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जमानत दिया जाना न्यायिक सिद्धांत के खिलाफ 

न्यायाधीश ने लिखा कि मनीष खरे को जमानत का लाभ दिया जाना न्यायिक सिद्धांत के विपरीत होगा। मालूम हो कि ई टेंडर मामले में जेल गये ऑसमो आईटी सोल्युशन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी, सुमित गोलवालकर, मनोहर एमएन नंदकिशोर ब्रहमे की जमानत अर्जी न्यायाधीश संजीव पांडे पहले ही नामंजूर कर चुके है। आरोपी नंदकिशोर ब्रहमे को हाइकोर्ट जबलपुर ने भी जमानत देने से इंकार कर दिया है।

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मनीष खरे की जमानत नामंजूर करते हुए अदालत ने लिखा कि इस मामले में चालान अदालत में पेश हो चुका है जिसमें न्यायालय संज्ञान भी ले चुका है। मनीष खरे पर यह आरोप नहीं है कि उसने स्वंय ई-टेंडर क्रंमाक 10044 में या किसी अन्य टेंडर में छेड़छाड़ की। परंतु मनीष पर स्पष्ट आरोप और इस संबंध में जांच एजेंसी ने सबूत पेश किये है कि मनीष खरे ने ऑस्मों कंपनी के तीन संचालको वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी, सुमित गोलवालकर के साथ मिलकर टेंडर लेने वाली कंपनियों से बातचीत की। 

 


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meena

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