झूठे वादे का अंजाम: शादी का सपना दिखाकर किया दुष्कर्म, अब 10 साल जेल में काटेगा आरोपी
Wednesday, Nov 05, 2025-11:43 AM (IST)
दुर्ग। (हेमंत पाल): छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से एक गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ शादी का झांसा देकर युवती से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को अदालत ने 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। घटना मार्च 2024 की है, और करीब डेढ़ साल की सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए यह सख्त फैसला सुनाया।
क्या है मामला
यह मामला उतई थाना क्षेत्र का है। आरोपी विनय प्रकाश टंडन (36 वर्ष), जो जिले बालोद का रहने वाला है, ने एक युवती से पहले दोस्ती की और फिर संबंधों का फायदा उठाते हुए उसे शादी का झांसा देकर अपने साथ भगा ले गया।
घटना 12 मार्च 2024 की है। उस दिन युवती शाम को अपने घर से निकली थी, लेकिन देर रात तक वापस नहीं लौटी। परिजनों ने उसकी काफी तलाश की, पर कोई सुराग नहीं मिला। बाद में यह पता चला कि आरोपी उसे अपने साथ दूसरी जगह ले गया था
विरोध करने पर दी गई जान से मारने की धमकी
जांच में सामने आया कि आरोपी ने युवती को शादी करने का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए। जब पीड़िता ने इसका विरोध किया, तो आरोपी ने उसे जान से मारने की धमकी दी। आरोपी के डर से युवती कुछ समय तक खामोश रही, लेकिन जब मौका मिला, तो वह उसके चंगुल से भागकर किसी तरह घर पहुंची।
थाने में दर्ज हुआ मामला
घर लौटने के बाद पीड़िता ने साहस दिखाते हुए उतई थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी के खिलाफ धारा 366 (अपहरण), 376 (2)(एन) (बार-बार दुष्कर्म) और 506 (1) (धमकी) के तहत अपराध दर्ज किया।
जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ अदालत में चालान पेश किया।
अदालत ने माना दोषी
मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी दुर्ग अवध किशोर की अदालत में हुई। अभियोजन पक्ष ने साक्ष्य, मेडिकल रिपोर्ट और गवाहों के माध्यम से यह सिद्ध किया कि आरोपी ने युवती को शादी का झांसा देकर उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए।
अदालत ने सभी तथ्यों और साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए आरोपी विनय प्रकाश टंडन को धारा 376(2)(एन) के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास तथा धारा 506(1) के तहत 1 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
न्याय की जीत संदेश समाज के लिए
यह फैसला उन युवाओं के लिए एक कड़ा संदेश है जो झूठे वादों और प्रलोभनों के सहारे महिलाओं का शोषण करते हैं। अदालत का यह निर्णय इस बात का प्रमाण है कि न्याय में देर हो सकती है, लेकिन अंधकार पर सत्य की जीत निश्चित है।

