कमलनाथ सरकार के फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई मुहर, पार्षद ही चुनेंगे महापौर और अध्यक्ष

Wednesday, Nov 20, 2019-05:41 PM (IST)

जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कमलनाथ सरकार के नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष का निर्वाचन अप्रत्यक्ष तरीके से कराने के फैसले को सही ठहराया है। याचिकाकर्ता अनवर हुसैन की याचिका में कहा गया था कि सरकार द्वारा नगरीय निकाय एक्ट में किया गया संशोधन असंवैधानिक  है इस लिहाज से इसे रद्द किया जाए। प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा नगर पालिक विधि संशोधन अध्यादेश 2019 को सर्वसम्मति से पास  किया गया था। जिसे गवर्नर ने भी आर्टिकल 213 की धारा 1 के तहत मंजूरी दी थी। इस मुहर के बाद MP नगर निगम एक्ट 1956 एवं नगर निगम एक्ट 1961 में संशोधन किया गया था। हाईकोर्ट की सुनवाई में याचिकाकर्ता ये साबित नहीं कर पाए कि राज्य सरकार द्वारा नगर निगम एक्ट में किया गया बदलाव संसोधन असंवैधानिक है। इस नियम के बाद अब महापौर व अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए नियम बनाने की जवाबदारी प्रदेश सरकार को सौंपी गई है। इसलिए कमलनाथ सरकार द्वारा नगरीय निकाय एक्ट में किया गया बदलाव असंवैधानिक नहीं है।

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने तर्कों को सुनने के बाद पाया कि सरकार द्वारा नगरीय निकाय एक्ट में किया गया संशोधन न्याय संगत हैं, इस लिहाज से याचिका को खारिज कर दिया गया। जिसके साथ ही ये साफ हो गया है कि अब पार्षदों के जरिए ही महापौर और अध्यक्ष का चुनाव होगा। वहीं हाईकोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी को एक बड़ा झटका लगा है और कमलनाथ सरकार को एक बड़ी जीत मिली है। लेकिन अब देखना होगा कि भाजपा नेताओं की इस निर्णय पर क्या प्रतिक्रिया आती है।

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बता दें कि 1997 के पहले भी नगर निकायों में महापौर और अध्यक्ष का चयन अप्रत्यक्ष प्रणाली से ही किया जाता था। लेकिन तत्कालीन दिग्विजय सिंह ने इस एक्ट में संशोधन करके महापौर का चयन प्रत्यक्ष तरीके से कराने का फैसला लिया गया था, लेकिन कमलनाथ सरकार ने इसे बदल दिया है।


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Vikas kumar

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