सीहोर में तेजी से बढ़ रहा लंपी वायरस, सालों से खाली पड़े डॉक्टरों के पद, गौसेवकों-ग्रामीणों की मदद से की जा रही वैक्सीनेशन

10/12/2022 11:24:24 AM

सीहोर(धर्मेंद्र राय) : लंपी वायरस का खतरा सीहोर जिले तक भी पहुंच चुका है। अब तक जिलेभर में इस वायरस से संक्रमित 34 मवेशी मिल चुके हैं जिसमें से 33 संक्रमित मवेशी ठीक हो चुके हैं। हाल ही में जावर में भी नया मवेशी संक्रमित मिला है जिन गांवों में संक्रमित मवेशी मिले हैं, वहां पर वैक्सीनेशन कराया गया है। अच्छी बात यह है कि इनमें से 33 मवेशी अब ठीक हो चुके हैं केवल 1 मवेशी संक्रमित है। सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि संक्रमण यदि तेजी से फैल जाए तो स्थिति संभालने के लिए विभाग के पास अमला ही नहीं है। पशु स्वास्थ्य विभाग में आज भी अमले की कमी बनी हुई है। सालों से डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं जिन्हें आज तक नहीं भरा जा सका। इस समय जिले में डॉक्टरों के 7 पद खाली पड़े हैं। इसी तरह सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी के 51 पद खाली हैं। कई जगह तो चपरासी तक नहीं हैं। ऐसे में किस तरह काम चल रहा होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है। अमला कम होने के कारण डॉक्टर और सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी गांव के गोसेवकों की मदद लेते हैं। इन्हें प्रशिक्षण दिया होता है जिससे यह अच्छे से मदद कर पाते हैं। जब किसी गांव में वैक्सीनेशन होना होता है तो तीन से चार गांवों के गोसेवकों को बुलाकर यहां पर वैक्सीनेशन के लिए लगा दिया जाता है। कई जगह ग्रामीणों की मदद भी ली जाती है। पशु अस्पतालों की हालत यह है कि कई जगह अमला कम होने के कारण यह समय पर नहीं खुल पाते हैं। कई जगह तो अमला है ही नहीं।

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विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक पूरे जिले में 11 हज़ार 572 पशुओं को वैक्सीन लगाया जा चुका है और वैक्सीनेशन का काम लगातार जारी है। पिछले एक साल से आष्टा के भंवरा पशु अस्पताल में ना तो डॉक्टर है और ना ही सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी यही नहीं यहां पर चपरासी का पद भी खाली पड़ा है, जिससे यहां पर ताला लगा रहता है। रेहटी पशु अस्पताल के डॉक्टर आशीष कुमार मिश्रा का कहना है कि लंपी वायरस के लक्षण दिखाई देने पर उस मवेशी को सबसे पहले आइसोलेट किया जाता है। जहां पर इसे बांधा जाता है। उसके चारों तरफ जाली लगा दी जाती है जिससे मच्छर, मक्खी ना बैठ सकें क्योंकि बीमार मवेशी पर बैठा मच्छर और मक्खी ही दूसरे जानवर को संक्रमित करता है।

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इसलिए इसका ख्याल रखा जाता है इसके लिए बीमार मवेशी को टीका लगाया जाता है। वैक्सीनेशन के लिए गोसेवकों की मदद ली जाती है। श्यामपुर में पदस्थ डॉ. भावना शुक्ला का कहना है कि पशु पालकों को हम जागरूक कर रहे हैं जिससे वे अपने मवेशियों पर इस बीमारी के अटैक को समझ सकें इस संबंध में डॉ. अशोक कुमार भदौरिया ने बताया कि यह सही बात है कि स्टाफ की कमी बनी हुई है। कई जगह तो सालों से खाली पड़े पद आज तक नहीं भरे जा सके हैं। लंपी वायरस की रोकथाम के लिए पूरा अमला काम में जुटा है। टीकाकरण को लेकर सर्वे भी कराया जा रहा है। यही नहीं सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों के 51 पद आज तक नहीं भरे जा सके हैं। हालत यह है कि एक क्षेत्र के अधिकारी को दो से तीन सब सेंटर का चार्ज दे रखा है जिससे वह सही से काम तक नहीं कर पा रहे हैं। जिले में रेहटी, नसरुल्लागंज, सीहोर, आष्टा और जावर में संक्रमित मवेशी मिल चुके हैं।


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Content Writer

meena

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