नवजात बच्चे की मौत के मामले में एमपीएचआरसी ने कलेक्टर और सीएमएचओ रिपोर्ट मांगी
6/25/2022 4:00:52 PM
भोपाल, 25 जून (भाषा) मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक स्वास्थ्य केंद्र में कथित तौर पर एक गरीब महिला को भर्ती नहीं करने और नवजात बच्चे की मौत के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग (एमपीएचआरसी) ने जिलाधिकारी तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) को नोटिस जारी किया है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
पीड़ित महिला के ससुर ज्ञान राजपूत ने पत्रकारों को बताया कि घटना बृहस्पतिवार की है जब महिला प्रसव पीड़ा के साथ छतरपुर जिला मुख्यालय से 23 किलोमीटर दूर नौगांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची।
उन्होंने दावा किया कि अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें सूचित किया कि महिला सुबह नौ से 10 बजे तक बच्चे को जन्म दे सकती है लेकिन कर्मचारियों ने महिला को केंद्र में भर्ती नहीं किया और वह चिकित्सा के इंतजार में वहीं फर्श पर पड़ी रही।
राजपूत ने कहा कि करीब छह घंटे के बाद दोपहर एक बजे महिला को जिला अस्पताल रेफर किया गया लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे और केंद्र से उन्हें एम्बुलेंस भी नहीं मिली।
उन्होंने कहा कि महिला की स्थिति को देखते हुए एक भले आदमी ने जिला अस्पताल पहुंचाने के लिए एक निजी एम्बुलेंस की व्यवस्था की, इसी बीच लेकिन महिला ने वाहन में ही बच्चे को जन्म दे दिया और नवजात बच्चा जीवित नहीं रह सका।
एक अधिकारी ने कहा कि घटना का संज्ञान लेते हुए एमपीएचआरसी के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार जैन ने शुक्रवार को छतरपुर जिला कलेक्टर और सीएमएचओ को एक महीने में अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपने के निर्देश दिया है।
इसके अलावा आयोग ने यह भी जानकारी मांगी है कि क्या महिला को उसके नुकसान का मुआवजा दिया गया है।
छतरपुर के सीएमएचओ डॉ विजय पाथोरिया ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘ मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की जा रही है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।’’ छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर ने कहा कि उन्होंने सीएमएचओ को दोषियों की खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
पीड़ित महिला के ससुर ज्ञान राजपूत ने पत्रकारों को बताया कि घटना बृहस्पतिवार की है जब महिला प्रसव पीड़ा के साथ छतरपुर जिला मुख्यालय से 23 किलोमीटर दूर नौगांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची।
उन्होंने दावा किया कि अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें सूचित किया कि महिला सुबह नौ से 10 बजे तक बच्चे को जन्म दे सकती है लेकिन कर्मचारियों ने महिला को केंद्र में भर्ती नहीं किया और वह चिकित्सा के इंतजार में वहीं फर्श पर पड़ी रही।
राजपूत ने कहा कि करीब छह घंटे के बाद दोपहर एक बजे महिला को जिला अस्पताल रेफर किया गया लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे और केंद्र से उन्हें एम्बुलेंस भी नहीं मिली।
उन्होंने कहा कि महिला की स्थिति को देखते हुए एक भले आदमी ने जिला अस्पताल पहुंचाने के लिए एक निजी एम्बुलेंस की व्यवस्था की, इसी बीच लेकिन महिला ने वाहन में ही बच्चे को जन्म दे दिया और नवजात बच्चा जीवित नहीं रह सका।
एक अधिकारी ने कहा कि घटना का संज्ञान लेते हुए एमपीएचआरसी के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार जैन ने शुक्रवार को छतरपुर जिला कलेक्टर और सीएमएचओ को एक महीने में अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपने के निर्देश दिया है।
इसके अलावा आयोग ने यह भी जानकारी मांगी है कि क्या महिला को उसके नुकसान का मुआवजा दिया गया है।
छतरपुर के सीएमएचओ डॉ विजय पाथोरिया ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘ मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की जा रही है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।’’ छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर ने कहा कि उन्होंने सीएमएचओ को दोषियों की खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
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