आईटी इंजीनियर से सुपरकॉप तक — IPS राहुल लोढ़ा ने ऐसे खोला अर्चना तिवारी का रहस्यमयी केस"
Thursday, Aug 21, 2025-03:53 PM (IST)

भोपाल। मध्य प्रदेश के इंदौर से निकल कर चलती ट्रेन से गायब हुई अर्चना तिवारी की गुत्थी आखिरकार सुलझ गई है। लगातार 13 दिनों तक चली खोजबीन और चर्चाओं के बीच वह सुरक्षित अपने घर पहुंच गई। इस रहस्यमयी मामले को सुलझाने का श्रेय जाता है रेलवे एसपी राहुल लोढ़ा को, जिन्होंने अपनी टीम के साथ अर्चना की हर चाल को नाकाम करते हुए उसे ट्रेस कर लिया। आइए जानते हैं, कौन हैं ये अफसर, जिनकी गिनती तेजतर्रार आईपीएस में की जाती है।
आईबीएम से आईएएस की राह तक का सफर
राहुल लोढ़ा, जो मूल रूप से महाराष्ट्र के जलगांव के रहने वाले हैं, ने 2008 में बीई की डिग्री पूरी की। पढ़ाई के बाद उन्हें आईबीएम जैसी बड़ी कंपनी में नौकरी मिल गई, लेकिन उनका दिल हमेशा सिविल सर्विसेज़ में करियर बनाने के लिए धड़कता रहा। 2009 में उन्होंने आईबीएम की नौकरी छोड़ने का साहसिक फैसला किया और यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख किया।
गुरुद्वारे में बिताए संघर्ष के दिन
दिल्ली में शुरुआती दिन बेहद कठिन थे। न कोचिंग का ठिकाना पता था, न रहने का। कई रातें चांदनी चौक के गुरुद्वारे में गुज़ारनी पड़ीं, कभी-कभी धर्मशालाओं में भी शरण लेनी पड़ी। धीरे-धीरे कोचिंग के रास्ते खुले और उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली, जिसने पढ़ाई और रहने की दिक्कतें काफी हद तक आसान कर दीं।
कोचिंग से शुरू हुई प्रेम कहानी
तैयारी के दिनों में ही उनकी मुलाकात जोधपुर की शुभी से हुई। पढ़ाई में एक-दूसरे की मदद करते-करते दोस्ती गहरी होती चली गई। 2011 में तीसरे प्रयास में सफलता मिलने के बाद राहुल ने शुभी को अपने दिल की बात बताई और कुछ ही समय में दोनों परिवारों की रज़ामंदी से शादी भी हो गई।
तेजतर्रार आईपीएस, जो लेते हैं स्मार्ट फैसले
2011 बैच के आईपीएस अफसर राहुल लोढ़ा की पहचान एक तेज, रणनीतिक और जमीनी स्तर पर काम करने वाले अधिकारी के रूप में होती है। रतलाम में एसपी रहते हुए वे कई बार चर्चा में रहे और सितंबर 2024 में भोपाल रेलवे एसपी का कार्यभार संभाला।
अर्चना केस में दिखाई समझदारी
अर्चना तिवारी की गुमशुदगी के मामले में भी उन्होंने अपनी रणनीति और टीमवर्क से सभी को चौंका दिया। विदेश जाने की फिराक में चल रही अर्चना को लोढ़ा की योजना ने मात दी, और लखीमपुर खीरी पुलिस की मदद से उसे सुरक्षित वापस बुला लिया गया।
राहुल लोढ़ा की यह कहानी सिर्फ एक अफसर की नहीं, बल्कि उस इंसान की भी है जिसने सपनों को सच करने के लिए संघर्ष की हर राह पार की और अब देश की सेवा में जुटे हैं।