तीन लड़कों और 1 विदेशी दोस्त की मदद से अर्चना तिवारी ने खेला था बड़ा खेल! लेकिन एक गलती से पकड़ी गई...
Thursday, Aug 21, 2025-02:04 PM (IST)

भोपाल : कटनी जिले की रहने वाली 29 साल की सिविल जज की मिसिंग स्टूडेंट अर्चना तिवारी आखिरकार 12 दिन बाद पकड़ी गई। एक सवाल सबके जहन में था कि आखिर लड़की गायब कैसे हो गई। तो वो इस मिसिंग स्टोरी की रचनाकार खुद ही थी और उसने भागने की वजह बताई कि घरवाले उसकी शादी उसकी मर्जी के बिना करा रहे थे। वो अभी शादी के लिए तैयार नहीं थी, इसलिए भाग निकली। लेकिन जिस लड़की को ढूंढने के लिए पुलिस, जीआरपी ने रात दिन एक कर दिया, 12 दिन वो किसी चालबाज की तरह पुलिस को छकाती रही तो वो इतना बड़ा खेल अकेले नहीं खेल सकती थी। तो अब जो स्टोरी निकलकर सामने आई है उसमें पता चला है कि अर्चना ने 3 लड़कों की मदद ली और इतना ही नहीं एक विदेशी युवक का नाम भी निकलकर सामने आया है। लेकिन एक ऐसी गलती कर गई कि पुलिस ने उसे ढूंढ निकाला।
अर्चना तिवारी मिसिंग केस को सुलझाना न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती बन गया था। 12 दिन की सघन तलाश के बाद आखिरकार अर्चना तिवारी पकड़ी गई और जो पूरी कहानी सामने आई वो कुछ इस तरह से हैं-
शादी का दबाव, सारांश से दोस्ती और भागने का प्लान
इधर घरवालों ने अर्चना के लिए पटवारी लड़का देख लिया था। उनका कहना था कि पढ़ाई होती रहेगी शादी कर लो, उधर अर्चना सिविल जज बनना चाहती थी और फिलहाल शादी नहीं करता चाहती थी। जिसे लेकर अकसर परिवार से विवाद रहता था। इसी बीच इंदौर में पढ़ाई के दौरान अर्चना की पहचान शुजालपुर निवासी सारांश से हुई। दोनों में नज़दीकियां बढ़ीं और जब अर्चना ने शादी को लेकर घरवालों से विवाद की समस्या सांझा की तो सारांश ने उसका साथ दिया। 6 अगस्त को हरदा में बैठकर अर्चना, सारांश और तेजेंद्र तीनों ने मिलकर इस कहानी की स्क्रिप्ट लिखी।
कौन है तेजेंद्र जिसने अर्चना का दिया साथ
तेजेंद्र जो एक ड्राइवर है, अक्सर अर्चना को बाहर लेकर आया जाया करता था। वो अर्चना के काफी करीब था इसीलिए उसे इस प्लान का हिस्सा बनाया गया। प्लान के मुताबिक- अर्चना नर्मदा एक्सप्रेस से कटनी जाने का बहाना करेंगी और बीच रास्ते से गायब हो जाएंगी। घटना के दिन इटारसी स्टेशन तक तेजेंद्र ट्रेन में उनके साथ रहा। इसके बाद उसने अर्चना का मोबाइल और कुछ कपड़े लेकर मिडघाट के जंगल में फेंक दिया ताकि जांच हो तो पुलिस को लगे कि अर्चना कहीं गिर गई या किसी हादसे का शिकार हो गई है। यही वजह थी कि क्यास लगाए जाने लगे कि अर्चना को कोई जंगली जानवर खा गया।
दूसरे पार्ट में सारांश ने मदद की
अर्चना ने ट्रेन में ही कपड़े बदले और इटारसी स्टेशन पर उतरकर सीधे सारांश की कार में बैठ गईं। वहां से दोनों ने ऐसे रास्ते से सफर किया जिसमें न तो को टोल टैक्स आए और न ही फास्टैग या सीसीटीवी हो। पुलिस को गुमराह करने के लिए शातिर अर्चना कार की सीट पर लेटकर यात्रा करती रहीं ताकि किसी कैमरे में कैद न हों। दोनों पहले शुजालपुर, फिर बुरहानपुर पहुंचे। इसके बाद हैदराबाद, जोधपुर और दिल्ली तक का सफर तय किया गया। यहीं वजह थी कि पुलिस परेशान हो गई कि अर्चना गई तो कहां गई, इतना ही नहीं अर्चना के साथ किसी अनहोनी का अंदेशा भी लगाया जाने लगा।
प्लान में विदेशी दोस्त वायासी देवकोटा भी शामिल
इधर पुलिस अर्चना को जंगलों मे ढूंढ रही थी, उधर अर्चना और सारांश दिल्ली से नेपाल पहुंचे। यहां अर्चना को एक नेपाली युवक वायासी देवकोटा ने शरण दी। वायासी अर्चना का दोस्त था और पहले से अर्चना उसके संपर्क में थीं और उन्हें भरोसा था कि नेपाल में वे आसानी से छिपी रह सकेंगी। लेकिन मिसिंग केस उलझता चला गया और प्रदेश भर में इस केस की चर्चा होने लगी। सोशल मीडिया के जरिए बिगड़ते हालातों का पता चला तो सारांश अर्चना को नेपाल छोड़कर शुजालपुर लौट आया, जबकि अर्चना देवकोटा की मदद से कुछ दिनों तक नेपाल-भारत बॉर्डर इलाके में रहीं।
कौन है राम तोमर? क्या है इस केस से कनेक्शन
इस पूरी कहानी में सबसे पहले राम तोमर का नाम जुड़ा तो सब हैरान रह गए। राम तोमर से अर्चना की पहचान तब हुई थी जब वह जबलपुर में प्रैक्टिस कर रही थीं। तोमर चाहते थे कि अर्चना ग्वालियर आकर उनके साथ प्रैक्टिस करें, लेकिन अर्चना उनसे दूरी बनाए रखती थीं। इसलिए राम तोमर उससे बात करता था और टिकट भी उसी ने कटवाया था। हालांकि पुलिस केस में साफ आया कि इस केस में राम तोमर की कोई भूमिका नहीं थी।
शातिर अर्चना को ढूंढ निकालने में सफल रही पुलिस
कहते हैं कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, लेकिन एक गलती से पकड़ा जाता है। इस केस में भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस केस को सुलझाने के लिए 12 दिनों तक 70 सदस्यीय टीम ने लगातार जांच की। 500 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। अर्चना के कॉल डिटेल की जांच की गई। इसमें सारांश एक ऐसा इंसान था जिसे अर्चना सबसे ज्यादा बात करती थी। यही गलती यहीं से पुलिस को सारांश पर शक हुआ, नंबर की लोकेशन ट्रैक हुई और कड़ियां जोड़ते-जोड़ते पुलिस सारांश तक पहुंच गई। सारांश को हिरासत में लिया और सख्ती से पूछा गया तो उसने सारी सच्चाई उगल दी। पुलिस सीधे नेपाल पहुंची और अर्चना को भोपाल लेकर आई।