तालाबों की नगरी में गंदगी का अंबार! अध्यक्ष और CMO पर लगे धमधा नगर पंचायत की दुर्गति के आरोप
Monday, Nov 03, 2025-07:36 PM (IST)
            
            दुर्ग/धमधा (हेमंत पाल) : कभी अपनी स्वच्छता और खूबसूरती के लिए चर्चित रही धमधा नगर पंचायत आज कचरे, दुर्गंध और भ्रष्ट रवैये की मिसाल बन चुकी है। जहां कभी तालाबों की लहरें नगर की पहचान थीं, आज वहीं प्लास्टिक और सड़ी गंदगी तैर रही है। करोड़ों की लागत से बना खेल मैदान चारागाह में तब्दील हो गया है, और नगर के अधिकारी “गंदगी कहां नहीं है” जैसे गैरजिम्मेदार बयान देकर जनता की पीड़ा पर नमक छिड़क रहे हैं।

तालाबों में गंदगी की लहरें
धमधा के तालाब आज अपनी बदहाली की कहानी खुद कह रहे हैं। कचरा, सीवेज और प्लास्टिक बोतलों ने तालाब की सुंदरता को निगल लिया है। नगर पंचायत की सफाई व्यवस्था सिर्फ रिपोर्टों और मीटिंगों में दिखती है, ज़मीन पर सड़ांध और सन्नाटा है। स्थानीय निवासियों का कहना है तालाब साफ करने के नाम पर हर साल खर्च होता है, लेकिन नतीजा वही कीचड़ और बदबू।
खेल मैदान बना पशु चरागाह
कभी बच्चों की हंसी-खुशी से गूंजने वाला खेल मैदान अब नगर पंचायत की उपेक्षा की दर्दनाक मिसाल है। जहां कभी खिलाड़ी क्रिकेट, कबड्डी और वॉलीबॉल खेलते थे, वहां अब मवेशी चरते हैं। मैदान की बाउंड्री टूटी है, गंदगी के ढेर लगे हैं और शाम होते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। नगर पंचायत ने इस पर आंखें मूंद ली हैं जिम्मेदारी की जगह जड़ता ने जगह ले ली है।

पोस्टमार्टम हाउस बना कचरा घर
यह शर्मनाक है कि नगर पंचायत ने पोस्टमार्टम स्थल के पास ही नगर का कचरा डंप करना शुरू कर दिया है। सड़क किनारे सड़ती गंदगी और उठती दुर्गंध से आमजन त्रस्त हैं। पीएम कराने आने वाले परिजन नाक बंद कर वहां खड़े होते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है नगर पंचायत ने मानवीय संवेदनाओं तक को कचरे में फेंक दिया है।
नालियों में जमी गंदगी, मच्छरों का साम्राज्य
नगर की नालियां महीनों से साफ नहीं हुईं। वार्डों में कीचड़, मच्छर और सड़ांध की वजह से लोग बीमार हो रहे हैं। शिकायतों पर नगर पंचायत का जवाब देखेंगे और वही मामला ठंडे बस्ते में। यह हाल तब है जब हर साल नाली सफाई पर लाखों रुपये खर्च दिखाए जाते हैं।

सीएमओ का बेहूदा बयान
जब पत्रकारों ने नगर पंचायत सीएमओ एन.के. रत्नेश से सवाल किया, तो उन्होंने “गंदगी कहां नहीं है? पूरे छत्तीसगढ़ में है” कहकर पूरे सिस्टम की पोल खोल दी। इतना ही नहीं, उन्होंने कैमरे पर बयान देने से भी मना करते हुए कहा....जो करना है कर लो, मैं कोई बाइट नहीं दूंगा। ऐसा जवाब किसी मज़ाक से कम नहीं। अगर नगर का मुखिया ही जवाबदेही से भागेगा, तो जनता किसके पास जाएगी?
गार्डन बना शराबियों और कपल्स का ठिकाना
धमधा का एकमात्र पब्लिक गार्डन अब शराबियों और मनचलों का अड्डा बन गया है। बेंचें टूटी हैं, झूले जंग खा चुके हैं, और देखरेख करने वाला कोई नहीं। बच्चे खेलने की जगह डरते हैं, और परिवारों ने गार्डन आना बंद कर दिया है। स्थानीयों का कहना है “नगर पंचायत ने पार्क को पार्क नहीं, उपेक्षा का प्रतीक बना दिया है।”
‘’स्वच्छ शहर’’ से “गंदा नगर” तक
याद कीजिए, कुछ साल पहले यही धमधा नगर पंचायत स्वच्छता अभियान में सम्मानित हुई थी। तब नगर के अधिकारी और अध्यक्ष पुरस्कार लेकर मुस्कुराते फोटो खिंचा रहे थे। आज वही नगर कचरे के नीचे दबा है। पोस्टर और बैनर में विकास झलकता है, ज़मीन पर सड़ांध और लापरवाही।

अध्यक्ष श्वेता अग्रवाल पर उठे सवाल
नगर में हर गली-चौराहे पर नगर पंचायत अध्यक्ष श्वेता अग्रवाल के पोस्टर जरूर दिख जाते हैं, लेकिन शहर की समस्याओं पर उनका कोई बयान नहीं आता।
जनता का कहना है
फ्लेक्स और बैनर से विकास नहीं होता, मैदान में काम दिखना चाहिए। नगर की जनता अब जवाब चाहती है तालाबों से लेकर नालियों तक आखिर जिम्मेदारी किसकी है?

जनता जाग चुकी है
धमधा की तस्वीर साफ है। जहां जिम्मेदारी की जगह अहंकार और लापरवाही ने कब्जा कर लिया है।
अब जनता सवाल पूछ रही है
कब तक चलेगी यह गंदगी और जवाबदेही से भागने की राजनीति? नगर पंचायत धमधा अगर अब भी नहीं जागी, तो आने वाले वक्त में यह नगर “तालाबों की नगरी” नहीं, बल्कि “गंदगी की राजधानी” कहलाएगा।

