रामायण काल से जुड़ा है इस मंदिर का इतिहास, सतपुड़ा की चोटी पर स्थापित हैं सिरवेल महादेव, झरनों के बीच है ये शिवलिंग
Sunday, Jul 30, 2023-05:16 PM (IST)

खरगोन (अशोक गुप्ता): जिले के आदिवासी अंचल की भगवानपुरा तहसील के अंतर्गत ग्राम सिरवेल में अति प्राचीन शिवलिंग सतपुड़ा पहाड़ की एक चोटी पर बनी विशाल गुफा के अंदर विराजित है। बताया जाता है कि लगभग 13 झरने पार करने के बाद इस अद्भुत सिरवेल महादेव शिवलिंग के दर्शन के लिए जाया जाता है।
सुदूर जंगल में सतपुड़ा पहाड़ के घने वन की ऊंची पहाड़ी पर बनी गुफा के अंदर विराजित शिवलिंग तक जाने का रास्ता बड़ा ही अद्भुत और कठिन है। पहले खड़ी चढ़ाई घुमावदार मोड़ के बाद सीढ़ियों के द्वारा झरनों के बीच नीचे पहाड़ी चोटी के नजदीक जाने के बाद वहां से सिंगल लोहे की सीडी से ऊपर पहाड़ की चोटी पर पहुंचने के बाद गुफा के अंदर विराजित अद्भुत शिवलिंग के दर्शन होते हैं। शिवलिंग तक पहुंचने का मार्ग एकांगी होने से आने वाले और जाने वाले उसी कठिन मार्ग से बड़ी कठिनाई से गुजरते हैं। यहीं पहाड़ी पर श्री उदासीन नया अखाड़ा के महतं संतोषदास जी महाराज वर्षों से अपनी सेवा दे रहे हैं। पूज्य महंत संतोषदास महाराज सतपुड़ा के बने वन में शिवलिंग के पास तपस्या कर रहे हैं। वर्तमान में वह महीनों से पैरों पर ही खड़े हैं, और अपना सारा कार्य खड़े-खड़े ही करते हैं। यहां तक की अगर उन्हें नींद भी आती है तो खड़े-खड़े ही सोते हैं। गुरुदेव ने बताया कि सतपुड़ा पर्वत पर कुंदा नदी तट पर विराजित यह शिवलिंग सतयुग के समय रामायण काल से स्थापित है। रावण ने यहां तपस्या कर अपने शीश की बलि देकर नौ ग्रहों को प्रसन्ना कर किया था इस अद्भुत शिवलिंग के दर्शन मात्र से दुखों और रोगों का नाश होता है।
सतपुड़ा के घने वन में बसे इस शिवलिंग का बड़ा ही अद्भुत और सुंदर नजारा है। पहाड़ी से गिरते झरने चारों तरफ हरियाली पेड़ पौधों श्रद्धालुओं के साथी पर्यटकों को आकर्षित करती है। आए दिन मध्यप्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र गुजरात राजस्थान अन्य प्रदेशों से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक घूमने और दर्शन करने यहां आते हैं। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने भी इस मनमोहक स्थलों मे सिरवेल महादेव के साथ नन्हेश्वर महादेव पर एक करोड़ सताईस लाख की घोषणा की है। प्रारंभ मे पचास लाख की लागत से उज्जैन महाकाल की तरह सिरवेल महादेव लोक बनाने की प्रशासकीय स्वीकृति भी मिल चुकी है। करोड़ों की लागत से सिरवेल महादेव के साथ ही नन्हेश्वर महादेव का विस्तार और विकास किया जाएगा। सिरवेल महादेव में शिवरात्रि पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता है, तो श्रावण मास में अखंड जाप के साथी पूजा अनुष्ठान अभिषेक किया जाता है।