छत्तीसगढ़ में लाल आतंक का ढलता सूरज! आत्मसमर्पण से पहले नक्सली लीडर रूपेश ने खोली नक्सलवाद की सच्चाई
Friday, Oct 17, 2025-10:56 AM (IST)

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर सरकार और सुरक्षा बलों की सख्त रणनीति अब रंग ला रही है। कभी निर्दोषों का खून बहाने वाले नक्सली अब हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौट रहे हैं। शुक्रवार, 17 अक्टूबर को प्रदेश में इतिहास रचने वाला दिन साबित होने जा रहा है, जब 140 से अधिक नक्सली मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सामने आत्मसमर्पण करेंगे।
इससे पहले, उत्तर पश्चिम सब जोनल प्रभारी और नक्सल संगठन के प्रवक्ता रहे रूपेश उर्फ तक्कलापल्ली वशुदेव राव (सतीश) ने अपने साथियों के नाम भावनात्मक अपील जारी की है।
रूपेश ने कहा —
“हमने आत्मसमर्पण का निर्णय किसी दबाव में नहीं बल्कि परिस्थितियों को देखते हुए लिया है। अब समय आ गया है कि हम खुद को बचाएं। पहले ज़िंदा रहना ज़रूरी है, उसके बाद ही आगे की दिशा तय की जा सकती है।
उन्होंने आगे कहा —
कई साथी अब भी संघर्ष की राह पर हैं, लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि अब हालात बदल चुके हैं। जो साथी इस प्रक्रिया में शामिल होना चाहते हैं, वे मुझसे संपर्क करें।
रूपेश ने अपने संदेश में मोबाइल नंबर 62671383163 भी सार्वजनिक करते हुए अन्य नक्सलियों से सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ उठाने की अपील की है।
जगदलपुर में ऐतिहासिक आत्मसमर्पण
पुलिस और प्रशासन ने जगदलपुर में होने वाले इस सामूहिक आत्मसमर्पण कार्यक्रम की पूरी तैयारी कर ली है। जानकारी के मुताबिक, रूपेश के नेतृत्व में भैरमगढ़ क्षेत्र से 140 नक्सली और 100 से अधिक हथियार प्रशासन को सौंपेंगे।
इससे पहले कांकेर जिले के कामतेड़ा बीएसएफ कैंप में भास्कर मंडावी के नेतृत्व में 50 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
‘लाल आतंक’ से मुक्ति की दिशा में बड़ा कदम
सुरक्षा बलों के लगातार ऑपरेशन और सरकार की विकास योजनाओं ने नक्सलियों का मनोबल तोड़ा है। बस्तर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और कांकेर जैसे इलाकों में पिछले कुछ महीनों में सैकड़ों नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
अब जगदलपुर का सामूहिक आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के अंत की ओर एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।