संवेदनशीलता जिंदा है या मर गई ! पुलिस कप्तान के कार्यालय में इंतजार की हद हो गई
Monday, Oct 27, 2025-07:34 PM (IST)
बैतूल (रामकिशोर पंवार) : बैतूल जिले के दो प्रशासनिक अधिकारियों के पास थक हार कर लोग अपनी फरियाद लेकर आते है। ऐसे में यदि कोई अधिकारी जमीनी सतह पर न होकर दो मंजीला इमारत पर बैठा हो तब बुजुर्ग - निःशक्तजनों को तब तक इंतजार करना पड़ेगा जब तक कि उस अधिकारी को भूख न लगे और उसे कहीं से बाहर जाना न पड़े। जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कुछ वर्षों से एक नई परम्परा बन गई है कि माइक वन का कार्यालय ऊपर और माइक टू का कार्यालय नीचे है। जिले में गांव-गांव से लोग पुलिस कप्तान से मिलने आते हैं। ऐसे में वे लोग जो सीढ़िया चढ़ उतर नहीं पाते है। वे घंटों तक नीचे बैठे पुलिस कप्तान की राह देख कर थके हारे वापस लौट जाते है। ऐसा आम आदमी के साथ तो रोज होता है लेकिन जिले के वे निःशक्त जन क्या करे जो सीढ़िया चढ़ कर ऊपर नहीं जा सकते।

हालांकि मध्यप्रदेश शासन ने निःशक्तजनों के लिए रैम्प की व्यवस्था की है ताकि सीढ़ियों के चढ़ने और उस पर से गिरने का खतरा न रहे लेकिन पुलिस अधीक्षक कार्यालय एवं पुलिस कंट्रोल रूम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में शासन की कथनी एवं करनी उजागर होती है। ऐसे समय में मानव अधिकार एवं निःशक्तजनों के अधिकार कानून कहते है कि अधिकारियों को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता का परिचय देते हुए नीचे आकर ऐसे लोगों के संग मेल मुलाकात कर उनकी तकलीफों का जानना चाहिए।

