तो क्या 2 करोड़ के ईनाम के लिए रचा था कलेक्टर और सीईओ ने बड़ा खेल, प्रशासन ने सामने रखी पूरी सच्चाई

Tuesday, Dec 30, 2025-05:32 PM (IST)

(खंडवा): खंडवा जिले को मिले एक पुरस्कार को लेकर विवाद हो गया है। दरअसल राष्ट्रीय जल पुरस्कार को लेकर यह विवाद हुआ है। सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर दावा किया जा रहा है कि खंडवा कलेक्टर ऋषभ गुप्ता और जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा ने AI से तस्वीरें  बनाकर, गलत आंकड़े प्रस्तुत करते हुए यह पुरस्कार प्राप्त किया है। विवाद बढ़ता देख जिला प्रशासन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और अपना पक्ष रखा है।

जिस  पुरस्कार को लेकर लगे हैं आरोप

खंडवा जिला प्रशासन के मुताबिक 18 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत श्रेणी में, खंडवा जिले की कावेश्वर ग्राम पंचायत को द्वितीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

'कैच द रेन' अभियान को देश में प्रथम पुरस्कार

जानकारी के मुताबिक कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने बताया कि खंडवा ने केंद्र सरकार के कैच द रेन अभियान के तहत चलाए जल संचय, जल भागीदारी अभियान में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। जिले को पुरस्कार के रूप में 2 करोड़ रुपए दिए गए ।

ग्राम पंचायत कावेश्वर में पिछले वर्षों में बड़े पैमाने पर जल संरक्षण के लिए कई कार्य किए गए  जिनमें कावेरी नदी के उद्गम कुंड का जीर्णोंद्धार से लेकर पोखर, वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, हैंडपंप, बोरवेल और रिचार्ज शाफ्ट निर्माण कार्य शामिल हैं। इन शानदार कामों के लिए ग्राम पंचायत को 1.5 लाख रुपए का कैश पुरस्कार और ट्रॉफी से नवाजा गया।

जीतू ने खड़े किए थे सवाल

 

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प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस पूरे मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। उन्होंने एक्स पर पुरस्कार लेते हुए फोटो शेयर किए और भाजपा पर AI का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। जीतू ने आरोप लगाया कि खंडवा कलेक्टर और ग्राम पंचायत ने फर्जीवाडा़ करके राष्ट्रपति से पुरस्कार भी ले लिया। उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत सामने आई तो वहां खेत और खाली मैदान मिले। जीतू के इन दावों और आरोपों से हड़कंप मच गया।

जिला प्रशासन ने आरोप पर दी सफाई

मामले को बढ़ता देख जिला प्रशासन ने आधिकारिक रूप से उस रिपोर्ट को भ्रामक, तथ्यहीन और प्रशासन की छवि धूमिल करने का कोशिश बताया है। जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी गौड़ा ने साफ किया कि रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का अभियान से कोई संबंध नहीं है।

उन्होंने  कहा कि इस JSJB 1.0 अभियान के तहत पिछले साल काम शुरू किया गया था और ये 31 मई 2025 को पूरा हो चुका था। उन्होंने रिपोर्ट के इस दावे को गलत बताया जिसमें  1714 फोटो अपलोड करने की बात कही जा रही है। असल में 1,29,046 कार्यों की फोटो पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं।

अक्टूबर 2025 की जिन तस्वीरों को लेकर आरोप लगाए गए हैं, वे जल शक्ति “कैच द रेन” के पोर्टल की हैं  और ये JSJB 1.0 से पूरी तरह से अलग हैं।  जिला पंचायत सीईओ ने भी इसे भ्रम फैलाने की कोशिश बताया है।


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Content Editor

Desh sharma

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