SIR प्रक्रिया में लगे एक और BLO की मौत, बेटा बोला- काम के दबाव की वजह से हार्ट अटैक से गई जान
Tuesday, Nov 25, 2025-12:38 PM (IST)
शहडोल (कैलाश लालवानी) : मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान के बढ़ते दबाव ने एक और शिक्षक की जान ले ली। सोहागपुर तहसील के शासकीय प्राथमिक शाला ढांप टोला, संकुल कोटमा में पदस्थ 54 वर्षीय प्राथमिक शिक्षक और बीएलओ मनीराम नापित की सोमवार शाम हार्ट अटैक से मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि एसआईआर के काम ने उन पर इतना अधिक मानसिक और शारीरिक दबाव डाला कि उनकी जान चली गई। सबसे दुखद पहलू यह है कि मृत्यु के कई घंटों बाद तक किसी जिम्मेदार अधिकारी ने परिवार से संपर्क तक नहीं किया।

सोमवार की शाम मनीराम नापित मतदाता सूची पुनरीक्षण के तहत पतेरिया टोला क्षेत्र में घर–घर जाकर मतदाता प्रपत्र ले रहे थे। इसी दौरान उन्हें किसी अधिकारी का फोन आया। बेटे आदित्य नापित के अनुसार, फोन पर बातचीत खत्म होते ही उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी और उन्होंने तत्काल बेटे को कॉल कर मदद मांगी। बेटा घटनास्थल पहुंचा और दोनों पहले घर आए, जहां पिता की स्थिति लगातार खराब होती गई। परिजन तुरंत कार से उन्हें शहडोल मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो चुकी थी।
इस दुखद खबर के बाद घर में मातम पसरा है। पत्नी ममता नापित का रो-रोकर बुरा हाल है। उनका कहना है, “एसआईआर ने मेरे पति की जान ले ली।” बेटे आदित्य ने बताया कि पिता बीपी और शुगर के मरीज थे, इसके बावजूद उन्हें घंटों धूप-पानी में फील्ड में दौड़ाया जाता था। काम का दबाव इतना ज्यादा था कि घर लौटते ही वे कहते थे– "बहुत ज्यादा प्रेशर है, दिनभर की थकान हड्डियों में उतर जाती है।" रात में भी अधिकारियों के फोन आ जाते थे और फार्म डिजिटाइजेशन जल्द पूरा करने का लगातार दबाव बनाया जाता था।
मनीराम नापित बूथ क्रमांक 212 के बीएलओ थे, जहां 676 मतदाताओं में से 453 का डिजिटाइजेशन पूरा हुआ था यानी लगभग 67 प्रतिशत कार्य हो चुका था। परिजन बताते हैं कि वे काम को लेकर बेहद जिम्मेदार थे और किसी भी कार्य को अधूरा नहीं छोड़ते थे। लेकिन एसआईआर के दौरान नियुक्ति से लेकर डेटा अपलोडिंग तक की प्रक्रियाओं में उन पर लगातार अतिरिक्त भार डाला गया।

परिजनों और स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। एसआईआर, चुनाव कार्य और मतदाता पुनरीक्षण जैसे अभियानों में ब्लॉक लेवल ऑफिसर (बीएलओ) पर असाधारण दबाव डाला जाता है। शिक्षकों को अक्सर पढ़ाई से हटाकर ऐसे फील्ड कार्यों में लगाया जाता है, जबकि वे प्रशिक्षित प्रशासनिक कर्मचारी नहीं होते। इससे न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होती है बल्कि शिक्षकों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी खतरे में पड़ जाता है।
मध्यप्रदेश में इससे पहले भी कई जिलों में एसआईआर और मतदाता सूची कार्य के दौरान बीएलओ की मौत के मामले सामने आए हैं। 2022 में रीवा जिले में और 2023 में जबलपुर में दो अलग-अलग शिक्षकों की काम के दौरान मौत हुई थी, जिनमें परिजनों ने बढ़ते दबाव को ही कारण बताया था। प्रदेश के कई शिक्षक संगठन लंबे समय से इस तरह के अतिरिक्त कार्यों का विरोध करते आए हैं। उनका कहना है कि शिक्षकों से लगातार गैर-शैक्षणिक कार्य कराए जा रहे हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है।
मनीराम नापित का अंतिम संस्कार मंगलवार को गांव में किया जाएगा। परिवार अब विभागीय जांच और मुआवजे की मांग करने की तैयारी कर रहा है। स्थानीय ग्रामीणों व शिक्षकों के अनुसार मनीराम नापित बेहद शांत, मिलनसार और जिम्मेदार शिक्षक थे। उनकी अचानक हुई मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है।
शिक्षक संगठनों का कहना है कि यदि विभाग समय पर कर्मचारियों की स्वास्थ्य स्थिति, कार्यभार और फील्ड ड्यूटी के दबाव को ध्यान में रखे तो ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है। वे मांग कर रहे हैं कि एसआईआर जैसे अभियानों में शिक्षकों को अनावश्यक दवाब से मुक्त किया जाए और बीएलओ के पद पर अन्य प्रशासनिक कैडर के कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए।
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