दिग्विजय सिंह ने जयवर्धन सिंह पर लगे आरोपों को नाकारा, बड़े बांधों का किया विरोध, भाजपा पर लगाए आरोप

Sunday, Nov 16, 2025-08:33 PM (IST)

गुना (मिस्बाह नूर) : पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रविवार को कुंभराज क्षेत्र के घाटाखेड़ी गांव में पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो लिंक परियोजना की समीक्षा बैठक ली। इस बैठक में वह अपने साथ कई विशेषज्ञ इंजीनियरों को लेकर पहुंचे थे। समीक्षा के दौरान, दिग्विजय सिंह ने घाटाखेड़ी में प्रस्तावित बड़े बांध को गैर-जरूरी बताया और इसके विकल्प के तौर पर 3-4 छोटे बांध बनाने का सुझाव दिया। दिग्विजय सिंह के साथ आए विशेषज्ञ इंजीनियरों ने भी यह मत व्यक्त किया कि क्षेत्र में इतने बड़े बांध की आवश्यकता नहीं है। घाटाखेड़ी और आसपास के ग्रामीणों ने भी दिग्विजय सिंह से चर्चा की और बड़े बांध बनने से होने वाली अपनी संभावित समस्याओं को सामने रखा। उन्होंने विशेषज्ञों से भी सवाल-जवाब किए।

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बड़े बांधों का किया विरोध

किसानों से चर्चा करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि पहले बांध बनाते समय यह ध्यान रखा जाता था कि सिंचित जमीन कम से कम अधिग्रहीत हो, साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों को लागू करने का प्रयास किया जाता था। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पार्वती नदी पर नरसिंहगढ़ के पास बने बांध में ज्यादातर वन भूमि अधिग्रहीत हुई, लेकिन सुठालिया बांध में अधिकांश किसानों की जमीन डूब क्षेत्र में चली गई।

दिग्विजय सिंह ने पार्वती नदी पर प्रस्तावित दीतलवाड़ा और घाटाखेड़ी बांधों पर अपनी राय स्पष्ट की। उन्होंने बताया कि दीतलवाड़ा में भी अत्यधिक लागत और ज्यादा जमीन डूब क्षेत्र में आने के कारण उन्होंने इसके पुनर्मूल्यांकन का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद विभाग ने घाटाखेड़ी में बांध का प्रपोजल दे दिया।

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जयवर्धन पर लगे आरोपों को नकारा

उन्होंने उन पर और जयवर्धन सिंह पर लग रहे राघौगढ़ की जमीन बचाने के लिए घाटाखेड़ी में बांध बनवाने के आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह दीतलवाड़ा हो या घाटाखेड़ी, दोनों जगह बड़े बांध बनाने के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, यही राय मेरी सुठालिया बांध को लेकर भी है, क्योंकि हमेशा प्रयास रहा कि हमें जितना ज्यादा हो सके छोटे-छोटे बांध बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान वाटरशेड के जरिए 'गांव का पानी गांव में' और 'खेत का पानी खेत में' रखने का प्रयास किया गया था, लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद यह योजना हटा दी गई। उन्होंने पार्वती-चंबल-कालीसिंध नदियों का पानी एक-दूसरे राज्यों में ले जाने की योजना को बहुत महंगी बताते हुए कहा कि इसमें पाइपलाइन की आवश्यकता होगी, जिससे खर्च बढ़ जाएगा।

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सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

उन्होंने आरोप लगाया कि बांध बनाने के दौरान केंद्र और राज्य सरकार के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, जबकि जिस बांध के लिए 10 हजार एकड़ से ज्यादा जमीन डूब में आती हो, उसका प्रपोजल केंद्रीय जल आयोग को भेजना अनिवार्य होता है।

दिग्विजय सिंह ने बड़े बांधों की जगह छोटे बांध बनाने पर जोर दिया और उनके संचालन के लिए महत्वपूर्ण तकनीकी सुझाव भी दिए। उन्होंने कंप्यूटर तकनीक से छोटे बांधों का संचालन करने का सुझाव दिया, जिसके जरिए बारिश आने पर बांध के गेट खुल जाएंगे और आवश्यकता होने पर गेट बंद होंगे। साथ ही, उन्होंने स्टॉपडेम बनाकर भी पानी रोकने का सुझाव दिया।


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Content Writer

meena

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