सलमान 90 और शाहरुख 80 में बिका..‘लॉरेंस विश्नोई’ पर लगी सबसे महंगी बोली, कैटरीना-माधुरी ने मचाई धूम..
Wednesday, Oct 22, 2025-04:45 PM (IST)
सतना : सलमान खान 90 और शाहरूख 80 में बिका...‘लॉरेंस विश्नोई’ पर लगी सबसे महंगी बोली, कैटरीना और माधुरी ने मचाई धूम.. जी हां फिल्मी सी लगने वाली ये खरीददारी किसी फिल्मी सितारों को लेकर नहीं है, बल्कि मध्य प्रदेश के सतना जिले की धार्मिक नगरी चित्रकूट में लगने वाले पशु व्यापार मेले को है। जहां दीपावली पर्व के अवसर पर आयोजित पांच दिवसीय दीपदान मेले के दूसरे दिन अन्नकूट पर्व के साथ मंदाकिनी नदी के तट पर लगने वाला ऐतिहासिक गधा बाजार इस वर्ष भी अपनी पुरानी परंपरा और रौनक के साथ सज उठा। सदियों पुराना यह मेला अपनी अनोखी पहचान के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।
इतिहासकारों के अनुसार यह मेला मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल से चल रहा है। उस समय चित्रकूट से सेना के लिए गधे और खच्चर खरीदे जाते थे। आज भी इस परंपरा को स्थानीय व्यापारी संजोए हुए हैं। इस वर्ष उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार सहित कई राज्यों से व्यापारी हजारों की संख्या में गधों और खच्चरों के साथ पहुंचे।

मेला हमेशा की तरह आकर्षक रहा, खासकर गधों और खच्चरों के नामों की वजह से। इस बार “लॉरेंस विश्नोई” नाम का खच्चर 1 लाख 25 हजार रुपये में सबसे महंगा बिका। वहीं, “सलमान खान” नामक गधा 90 हजार रुपये में और “शाहरुख खान” ने 80 हजार रुपये में नए मालिक पाए। अन्य जानवरों को कैटरीना, माधुरी और चंपकलाल जैसे नाम दिए गए, जिन पर खरीदारों ने उत्साहपूर्वक बोली लगाई।
लेकिन इस रौनक के पीछे कई परेशानियां भी छिपी हैं। मंदाकिनी नदी के किनारे लगने वाले इस मेले में पानी, गंदगी और छाया जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव दिखा। व्यापारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन की लापरवाही के कारण उन्हें भारी असुविधा झेलनी पड़ रही है। प्रत्येक व्यापारी से 600 रुपये प्रति जानवर एंट्री शुल्क और 30 रुपये प्रति खूंटा वसूला जा रहा है, लेकिन बदले में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही। सुरक्षा व्यवस्था भी नाकाफी है और यहां तक कि होमगार्ड तक तैनात नहीं हैं।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि यदि प्रशासन ने जल्द ध्यान नहीं दिया, तो यह सदियों पुरानी परंपरा समाप्त होने के कगार पर पहुंच सकती है। फिलहाल, चित्रकूट का यह गधा मेला अभी भी रौनक से भरा हुआ है, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता और अव्यवस्था इसकी चमक को धीरे-धीरे फीका कर रही है।

