दिग्विजय सिंह की भाजपा में हो रही वाहवाही! विजयवर्गीय की पोस्ट से सियासी हलचल तेज

Tuesday, Dec 30, 2025-12:01 PM (IST)

भोपाल : कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने आरएसएस की पोस्ट शेयर करके भले ही सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ दी है, लेकिन भाजपा के कई नेता उनके समर्थन में उतर आए हैं। जहां सीएम मोहन ने उनको भाजपा में आने का न्योता दिया है, वहीं मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने एक बार फिर उनकी तारीफ की है। कैलाश विजयवर्गीय ने दिग्विजय सिंह के एक पुराने स्टैंड को जोड़ते हुए बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है। पूरे बयान को अगर संदर्भ में देखा जाए तो इसके कई सियासी मायने निकलते हैं।

लोकतंत्र में असहमति और सच कहने का साहस

कैलाश विजयवर्गीय ने लिखा कि लोकतंत्र में वैचारिक मतभेद होना पूरी तरह स्वाभाविक है, लेकिन हर किसी में सच कहने का साहस नहीं होता। उनका इशारा इस ओर था कि सत्ता या संगठन के भीतर कई बार सच बोलने की कीमत चुकानी पड़ती है। ऐसे लोग अक्सर “दिल्ली दरबार” में अपने नंबर कम करा बैठते हैं, लेकिन लोकतंत्र की सेहत के लिए यही साहस सबसे जरूरी होता है।

दिल्ली दरबार और राजनीतिक कीमत का संकेत

विजयवर्गीय के बयान में “दिल्ली दरबार” शब्द खास तौर पर चर्चा में है। यह शब्द सत्ता के केंद्र और हाईकमान राजनीति की ओर इशारा करता है, जहां संगठन के भीतर लाइन से हटकर बोलने वालों को नुकसान झेलना पड़ता है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से यह कहा कि जो नेता सच बोलता है, उसे भले ही तत्काल राजनीतिक लाभ न मिले, लेकिन इतिहास उसे अलग नजर से देखता है।

दिग्विजय सिंह और कांग्रेस की पुरानी परंपरा

विजयवर्गीय ने दिग्विजय सिंह की तुलना कांग्रेस के 1950 के दशक के उन नेताओं से की, जिनमें सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे नाम शामिल थे। उन्होंने कहा कि उस दौर के नेता सच कहने की हिम्मत रखते थे, भले ही वह पार्टी लाइन से अलग क्यों न हो। विजयवर्गीय के मुताबिक दिग्विजय सिंह ने उसी परंपरा पर चलने की कोशिश की है, जहां विचारधारा से ऊपर राष्ट्र और सच्चाई को रखा जाता था।

RSS की तारीफ और साहसिक राजनीति

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा RSS की तारीफ किए जाने को विजयवर्गीय ने “साहसिक कदम” बताया। भारतीय राजनीति में जहां RSS पर अक्सर तीखे हमले होते रहे हैं, वहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का इस तरह का बयान अलग महत्व रखता है। विजयवर्गीय का मानना है कि यह लोकतंत्र की असली खूबसूरती है, जब विरोधी विचारधारा का व्यक्ति भी सच को स्वीकार करने का साहस दिखाए।

कुल मिलाकर, विजयवर्गीय का यह बयान सिर्फ एक नेता की तारीफ नहीं, बल्कि मौजूदा राजनीति में सच, साहस और वैचारिक ईमानदारी पर बड़ा सवाल भी खड़ा करता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

meena

Related News