मिलिए MP के भूरीबाई और कपिल तिवारी से जिन्हें मिलेगा पद्मश्री अवार्ड

Tuesday, Jan 26, 2021-07:24 PM (IST)

भोपालः गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मध्य प्रदेश के सिए 3 पद्म सम्मानों की घोषणा की गई। इनमें से इंदौर से 8 बार सांसद रही पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पद्म भूषण और दो अन्य भूरी बाई और कपिल तिवारी को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। सुमित्रा महाजन उर्फ ताई को तो सभी जानते हैं लेकिन भूरी बाई और कपिल तिवारी के बारे में कुछ एक लोग शायद नहीं जानते। तो चलिए आज आपको बताते हैं इनके बारे में और इनकी खासियत कि जिनकी वजह से इन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा।

former lok sabha speaker sumitra mahajan awarded by padma bhushan

भूरी बाई के जीवन की एक झलक...
भूरी बाई मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल गांव की रहने वाली है। आदिवासी समुदाय से संबंध रखने वाली भूरी बाई बचपन से ही चित्रकारी का शौक रखती थी। खास बात यह है कि उन्हें हिंदी बोलना भी ठीक से नहीं आती थी वे केवल स्थानीय भीली बोली जानती थी। उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता। रोजी रोटी के लिए वह भोपाल में आकर मजदूरी करने लगी। वे उस दौर में भोपाल में पेंटिग बनाती थी। बाद में उन्हें संस्कृति विभाग की तरफ से पेटिंग बनाने का काम मिला। फिर वे राजधानी भोपाल के भारत भवन में पेटिंग करने लगी। धीरे-धीरे चित्रकारी के शौक ने उन्हें अलग पहचान दिलाई।

PunjabKesari

वे कैनवास का इस्तेमाल कर आदिवासियों के जीवन से जुड़ी चित्रकारी करने की शुरूआत की और देखते ही देखते ही उनकी पहचान पूरी देश में हो गई। 1986-87 में मध्‍यप्रदेश सरकार के सर्वोच्‍च पुरस्‍कार शिखर सम्‍मान से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 1998 में मध्‍यप्रदेश सरकार ने उन्‍हें अहिल्‍या सम्‍मान भी सम्मानित किया। इसके बाद भूरी बाई ने देश के अलग-अलग जिलों में आर्ट और पिथोरा आर्ट पर वर्कशॉप का आयोजन करवाती है। आज भूरी बाई ने चित्रकारी के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है।

PunjabKesari

ये हैं कपिल तिवारी...
पद्मश्री अवार्ड के लिए चुने गए दूसरे शख्स मध्य प्रदेश के सागर जिले से हैं। वे साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र जुड़े हैं। कपिल तिवारी ने लोक संस्कृति साहित्य से जुड़ी 39 पुस्तकों का संपादन किया है। वर्तमान में वे विदेश मंत्रालय की भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के सदस्य हैं। कपिल तिवारी आदिवासी लोककला अकादमी के निर्देशक भी रह चुके हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश में लोक कलाओं और लोक कलाकारों के संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। डॉ. कपिल तिवारी ने लोक कलाओं पर कई पुस्तकें भी लिखी हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

meena

Related News