कोरोना से नहीं प्रशासन की लापरवाही से जाएगी इन मजदूरों की जान

5/14/2020 12:01:26 PM

छतरपुर(राजेश चौरसिया): वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से तो मजदूर बच रहे हैं लेकिन सड़क हादसों में लगातार मजदूरों की जान जा रही है। पहले औरंगाबाद, फिर गुना और अब छतरपुर जिले में मजदूरों के साथ हादसा हो गया। इससे मजदूरों को मिलने वाली मदद के सारे दाबे झूठे साबित हो रहे हैं और उनकी कमियां और लापरवाहियां उजागर हो रही है। ताजा मामला छतरपुर जिला मुख्यालय जिला अस्पताल का है जहां घायल मजदूरों के आने के पर पहले तो उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट के लिए मना कर दिया पर जब लोगों का दवाब पड़ा तो जैसे-तैसे उन्हें एडमिट किया पर इलाज नहीं किया।

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इसके बाद शिकायत पर उनका इलाज देर से तो शुरू हुआ पर दवा और जांच के नाम पर उन्हें पर्चे पकड़ा दिए गये। विपदा के मारे घायलों के पास ज़हर खाने को पैसे न थे तो दवा और जांच कहां से कराते। भूखे प्यासे घायल महिलाएं और बच्चे विलाप करने लगे जिसकी जानकारी शहर के समाजसेवियों को लगी। जिन्होंने तत्काल पहुंचकर उनकी मदद की खाना-पीना बिस्किट लेकर पहुंचे और अपने पैसों से बाहर मेडिकल की दवाईयां लाकर दी। सिटी स्कैन न हो पाने की स्थिति में महिला SDM प्रियांसी भंवर को सूचना दी गई जिसपर उन्होंने तत्काल सिटी स्कैन खुलवाकर फ्री में सिटी स्कैन करवाया।

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घायलों के मुताबिक घटना छतरपुर जिला मुख्यालय 70 किलोमीटर दूर सागर जिले के शाहगढ़ की है जहां केले से लदे ट्रक पर महाराष्ट्र से चलकर आ रहे मजदूर ट्रक पर बैठ गये। ड्राइवर की लापरवाही से केले और मजदूरों से भरा ट्रक पलट गया। जिसमें सवार 3 दर्जन से अधिक मजदूर महिलाएं बच्चे बूढ़े जवान सब दब गए घटनास्थल पर चीत्कार और हाहाकार मच गया। घायलों को अपनी जान बचाने की पड़ी थी सो जैसे ही एंबुलेंस और पुलिस सुविधाएं आई तो वह इलाज के लिए निकल पड़े और उनका सामान रुपया पैसा जेवर सब वहीं रहा गया जिसे लोग लूट ले गए।

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जिला अस्पताल में पहुंचे और भर्ती घायलों ने अपना यह हाल मीडिया के सामने बयां किया। इतना ही नहीं अस्पताल में उनका इलाज ना हो पाने के कारण वह रो और गिर रहे थे साथ ही बच्चे भूखे प्यासे थे। जिन्हें इलाज और पेट पूजा की आवश्यकता थी इस बीच समाजसेवियों को जानकारी लगी तो वह खाना पीना बिस्किट और अन्य चीजें अस्पताल लेकर पहुंचे और मरीजों के परिजनों को वितरित की।

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रोजा इफ्तार छोड़कर मदद और इलाज कराने पहुंचे...
शहर के समाजसेवी रफत खान को जैसे ही मामले की जानकारी लगी वह रोजा इफ्तार किए बिना अपने साथियों के साथ घायलों की मदद करने अस्पताल पहुंच गए। जहां उन्होंने खाना-पीना, दवाओं, जांच, रुपयों से लेकर सारी मदद की। 6 बजे से लेकर रात 9:30 तक अस्पताल में ही रहे।

 

 


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meena

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